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पांच दशक पहले रची रागिनी पर डांस करने से जाति विशेष की भावनायें कैसे हो जाती है आहत: हाईकोर्ट :-

चंडीगढ़. हिसार के युवक को पांच दशक पुरानी रागनी पर डांस करना महंगा पड़ गया. युवक के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया. युवक ने गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की |

इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस फतेहदीप सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पांच दशक पूर्व तैयार एक रागनी की धुन पर केवल नृत्य करने और एक वीडियो तैयार करने से जाति विशेष की भावनाएं कैसे आहत हो जाती हैं, यह एक बहस का विषय है, जिस पर केवल मुकदमे के निपटारे के दौरान ही निर्णय लिया जा सकता है |

Covid-19: Punjab and Haryana high court bar association demands resuming of  physical hearing of cases in HC, subordinate courts | Chandigarh News -  Times of India

इस मामले में हिसार पुलिस ने याची मंदीप कुमार के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत एचटीएम पुलिस स्टेशन में 15 जून 2020 को मामला दर्ज किया. याची पर आरोप है कि उसने पंडित जगदीश चंदर वत्स की एक रागनी, जो लगभग पांच दशक पूर्व लिखी गई थी, उसे बैकग्राउंड में इस्तेमाल कर टिक टाक वीडियो बनाया था और उसमें डांस किया था. शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि रागनी ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों की भावनाओं को आहत किया है1

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केवल रागनी की धुन पर नृत्य किया है और वह न तो लेखक है और न ही रचनाकार है. न ही किसी जाति के लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए उसने कोई कार्य किया है और उससे कुछ भी बरामद नहीं किया जाना है. इस पर सरकारी वकील ने अग्रिम जमानत का विरोध किया. सरकार की तरफ से कहा गया कि एससी/एसटी एक्ट के अनिवार्य प्रावधानों के तहत आरोपित याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती |

इस पर कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता न तो लेखक व रचनाकार है और न ही उस गीत का संगीत उसने तैयार किया है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास से कुछ भी बरामद नहीं किया गया है. एससी/एसटी एक्ट की तहत आरोप बाद में तय होने हैं. ऐसे में अभी याचिकाकर्ता को सलाखों के पीछे भेजना न्याय संगत नहीं है और यह एक मजाक होगा |

कोर्ट ने याची को राहत देते हुए आदेश दिया कि गिरफ्तारी की स्थिति में, याचिकाकर्ता को जांच अधिकारी की संतुष्टि पर जमानत पर रिहा किया जाएगा. कोर्ट ने याची को आदेश दिया कि वह जांच में सहयोग करे व जब भी उसे बुलाया जाए, वह आए. इसके बाद चालान पेश होने के बाद याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के बाद नियमित जमानत दी जाएगी |

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