मुस्लिम विहीन है नितीश कुमार का मंत्रिमंडल एनडीए से नही जीत पाया एक भी मुस्लिम प्रत्याशी :-
ये अपने आप में एक नये प्रकार का मामला होगा क्योकि शायद ऐसा बिहार ही नही बल्कि देश के किसी भी भाग का पहला मामला हो. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टिकरण की जिस बिहार से बहार जैसी बहाने की कोशिश कुछ गिने चुने लोगों ने की थी उसी बिहार की नवागत सरकार में एक भी मुसलमान मंत्री नही बनेगा.
यहाँ ये भी गौर करने योग्य है कि मुस्लिम वोटों के लिए कुछ नेता यहाँ तक पहुच गये थे कि सीएए और एनआरसी के विरोध के उन चेहरों को भी सामने रख कर प्रचार करवाया गया था जो पुलिस के रिकार्ड में अपराधी घोषित हैं.. लेकिन इसका उल्टा असर पड़ा और आखिरकार बिहार की जनता ने अपना जनादेश ऐसी मानसिकता के खिलाफ दे दिया |
एनडीए की चार पार्टियां हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जनता दल (यूनाइटेड), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेकुलर और विकाशील इंसान पार्टी । इन चार दलों में से, जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा। हालांकि, उनमें से किसी ने भी सीट नहीं जीती। चूंकि गठबंधन के पास कोई मुस्लिम विधायक नहीं है, इसलिए बिहार के मंत्रिमंडल में भी कोई निर्वाचित मुस्लिम मंत्री नहीं होगा।
वर्तमान में बिहार में,आरजेडी के 8 मुस्लिम विधायक हैं, कांग्रेस के 4, हैदराबाद स्थित AIMIM (ऑल इंडिया मजिलिस-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के 5, वाम दलों के 1 और बसपा का एक है। इस से पहले मुस्लिमों ने 1952 से राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय और पद संभाले हैं। अतीत में, उन्होंने विधान सभा और विधान परिषद दोनों की अध्यक्षता की है। पर इस बार जो कुछ भी जनादेश रहा वो बिहार के तुष्टिकरण पसंद नेताओं के लिए अप्रत्याशित ही कहा जाएगा |