Main Slideदेशबड़ी खबरविदेश

ट्रंप की भेड़ों से इंसान का सवाल :-

वक्त आधुनिक इंसान की बुद्धी पर गंभीर सवाल बनाता हुआ है। मनुष्य जानवर-भेड़ बकरी है या जीव जगत में दिमाग का बिरला विकास प्राप्त किए हुए प्राणी? एक तरफ 21 वीं सदी में, बुद्धी की बदौलत मंगल यात्रा का मिशन है तो दूसरी और डोनाल्ड ट्रंप द्वारा आधे अमेरिकियों की बुद्धी हरण कर उनका भेड़-बकरी का बाढ़ा बनाए हुए है। इंसान, इंसान जैसे नहीं बल्कि बुद्धीबीन भेड़-बकरियों की तरह यदि व्यवहार करें तो सवाल बनेगा कि अमेरिका जैसे पढ़े-लिखे, संपन्न देश में यदि सात करोड़ लोग बुद्धी से अपने ही लोकतंत्र के चुनाव को सत्य न माने तो शेष दुनिया में क्या हाल होंगे? सचमुच अमेरिका में जो है और जो हो रहा है वह गजब, अकल्पनीय है। इंसान के दिमाग, मनोविज्ञान के कई बुनियादी सवाल उठ खड़े हुए है! अमेरिकी राष्ट्र-राज्य को बरबाद करने का डोनाल्ड़ ट्रंप वह हर काम कर रहे है जिसकी कल्पना उसके दुश्मनों ने सपनों में नहीं की। ट्रंप ने अमेरिका को कई तरह से जर्जर, खोखला किया है। इसके कई प्रमाण है। आज अमेरिका कोरोना वायरस का नंबर एक मारा है। आर्थिकी सन् 193-32 की भयावह महामंदी से बुरी दशा में है। दुनिया में अमेरिका का मखौल बना है। सबसे बड़ा कलंक जो ट्रंप ने अमेरिका के भीतर और बाहर यह संदेह बनवाया है कि अमेरिका में लोकतंत्र है भी यहा नहीं! अमेरिका में चुनाव मतलब फ्राड! वहां साजिश विशेष से जीत-हार होती है।

Donald Trump Supports Deal To Allow Tiktok To Continue To Operate In Us -  अमेरिका: टिकटॉक को मिली राहत, ट्रंप ने ऑरेकल और वॉलमार्ट के बीच संभावित  करार को दी मंजूरी -

सोचे ऐसा कभी सोचा जा सकता था? ट्रंप और उनके मूर्ख भक्तों के हवाले दुनिया के तमाम तानाशाह प्रचार करवा रहे होंगे कि ऐसा है अमेरिकी लोकतंत्र! हां, डोनाल्‍ड ट्रंप, उनकी रिपब्लिकन पार्टी, ट्रंप को वोट देने वाले सात करोड़ अमेरिकी मतदातदाओं ने दुनिया में हल्ला बना दिया है कि तीन नंवबर 2020 का आम चुनाव फ्राड था! डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीता था लेकिन उनके विरोधी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाईडेन जबरदस्ती विजयी घोषित हुए! चार नवंबर की मतगणना के दो-चार घंटों के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अपने को विजेता घोषित कर दिया था। तब से अब तक वे, उनकी पार्टी, उनके सात करोड वोट मानने को तैयार नहीं है कि उनसे अधिक साढ़े सात करोड वोट प्राप्त जो बाईडेन विजेता है। ट्रंप के समर्थक वाशिंगटन सहित देश के कई शहरों में चुनाव नतीजों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है। ट्रंप हर रोज कई टिवट कर अपनी जीत, अपने साथ फ्राड के दांवे कर रहे है तो उनका समर्थक मीडिया, उनके वकील प्रेस कांफ्रेस कर ऐसा हल्ला बना दे रहे है जिससे झूठ सुन-सुन कर दुनिया भी मान जाए कि ट्रंप के साथ फ्राड हुआ और वे ही चुनाव में सच्चे विजेता है! दुनिया में असंख्य लोग चिंता में है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को व्हाइट हाऊस नहीं छोडा, जो बाईडेन के समानांतर यदि डोनाल्‍ड ट्रंप ने वाशिंगटन में अपना शपथ समारोह, अपने लाखों समर्थकों की रैली के साथ बाईडेन को राष्ट्रपति नहीं मानने का ऐलान व आव्हान किया या सेना जैसी किसी संस्था से गद्दी पर बैठे रहने का जुगाड बनाया तो क्या होगा?

मैं डोनाल्ड ट्रंप का प्रारंभिक समर्थक रहा हूं लेकिन ललोकतंत्र के भस्मासुर बनने और दुनिया के तानाशाह नेताओं के साथ उनकी यारी बनना शुरू हुई और सऊदी अरब-अफगानिस्तान को ले कर उनकी जो रीति-नीति दिखी तो यह सोचते हुए चिंता बन गई कि यदि ट्रंप दुबारा चुन लिए गए तो दुनिया का क्या होगा!

तभी जो बाईडेन की जीत और उनके लिए अमेरिका में तमाम तरह के विचारों वाले मतदाताओं का इतनी बड़ी संख्या (साढे सात करोड़ वोट) में वोट डालना भारत में 1977 की जनता आंधी समतुल्य है। डोनाल्‍ड ट्रंप कतई नहीं हारते यदि अमेरिका में बुद्धी रखने वाले, लोकतंत्र का मूल्य जानने वाले मतदाता वायरस के खौफ के बावजूद स्वंयस्फूर्त पोस्टल वोट या मतदान केंद्र की लाईन में लग कर वोट नहीं डालते। अमेरिका का सन् 2020 का चुनाव ट्रंप बनाम बाईडेन, रिपब्लिकन बनाम डेमोक्रेटिक पार्टी में चुनाव नहीं था बल्कि भक्त बनाम समझदार, बुद्धीहीन बनाम बुद्धीवान, झूठ बनाम सत्य, मूर्ख बनाम ज्ञानवान, भस्मासुरी राक्षशों बनाम अमेरिकी रक्षक देवताओं के बीच था। तभी इतिहास का रिकार्ड तोड मतदान हुआ और डेमोक्रेटिन पार्टी के बेचारे, बुजुर्ग, बिना करिश्मे वाले जो बाईडेन चुनाव जीते।

बाईडेन का चुनाव जीतना तभी डोनाल्‍ड ट्रंप और उनके भक्त सात करोड मतदाताओं के लिए सदमें की अक्लपनीय बात है। आखिर बाईडेन उन कलाओं, उस जादू-मंतर का कुछ भी लिए हुए नहीं है जिससे लोग भक्त बनते है। बाईडेन-कमला हैरिस अपने नाम से वाशिंगटन की सड़कों पर लाखों लोगों की वैसी रैली नहीं कर सकते जो डोनाल्ड ट्रंप के आव्हान में कभी भी हो सकती है। इसलिए कि बाईडेन को वोट देने वाले अमेरिकी बुद्धी, तर्क, सत्य, ज्ञान-समझ में फैसला लेने वाले है जबकि ट्रंप के सात करोड़ लोग उस भेड़-बकरी माफिक है जिसे गड़रिए ने आव्हान किया या हांका तो वे दौड़े चले आएगें। भक्तों का इतना बड़ा बाढ़ा, इतने गुलाम लोग और उसके बावजूद बाईडेन के हाथों ट्रंप का हारना! तभी ट्रंप और उनके भक्त हार मानने को तैयार नहीं है!

पर अमेरिका और उसके मतदाताओं के बहुमत ने अपनी महानता, अपनी बुद्धी-समझ-ज्ञान-सत्य का तीन नंवबर को वह प्रकटीकरण किया है जिससे नतीजे बदल नहीं सकते। अंत में डोनाल्ड ट्रंप और उनके भक्त नहीं बल्कि 20 जनवरी को अमेरिकी लोकतंत्र का झंड़ा फहराता हुआ होगा। तीन नवंबर 2020 से 20 जनवरी 2021 की अवधि में अमेरिका में जो है और जो होगा वह लोकतंत्र, अमेरिकी संविधान के चैक-बैलेंस व्यवस्था की
अग्निपरीक्षा है तो अंत में उससे डोनाल्ड ट्रंप और उनकी भेड़-बकरियां भी संविधान के अनुशासन में जीने को मजबूर होगी।

उस नाते अमेरिका में जो है वह कुछ मायनों में सुकूनदायी भी है। भस्मासुर से समझदार मतदाता देश का पिंड छुडवा दे यह जहां चमत्कारिक बात है तो हार न मानने वाले भक्तों को हल्ला करने देने की सहन क्षमता भी अमेरिकी लोकतंत्र के पुख्ता होने का प्रमाण है। अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने जो लोकतंत्र रचा है उसकी कमियों-खूबियों में कुल मिला कर लोगों की आजादी का जलवा हर तरह से प्रकट है। सभी संस्थाएं स्वतंत्रता से काम कर रही है। सोचे जिन राज्यों, काउंटी याकि जिलों में रिपब्लिकन पार्टी के नेता प्रमुख-प्रधान है वे डोनाल्ड ट्रंप और उनके भक्तों के शौर-दबाव के बावजूद वहीं कर रहे है जो मतगणना से साबित है। ट्रंप ने मिशिगन के नेताओं को व्हाइट हाऊस बुलाकर उन पर दबाव बनाना चाहा कि वे अपने प्रदेश-काउंटी से बाईडेन की जीत का सर्टिफिकेट जारी न करें। लेकिन जार्जिया, विसकॉन्सिन, मिशिगन और पेंसिलवेनिया में कही ट्रंप की नहीं चली। ट्रंप के धूर्त वकीलों ने नतीजों को चुनौती देने की तीस याचिकाएं लोकल-फेडरर अदालतों में दायर की लेकिन सब जगह जजों ने यह कहते हुए खारिज किया कि प्रमाण कहां है जो फ्राड की सुनवाई हो। पूर्व न्यूयॉर्क मेयर रूडी ज्यूलियानी को मिशिगन में अपनी कानूनी चुनौती वापस लेनी पड़ी क्योंकि याचिका के साथ वे एक भी सबूत दे नहीं पाए। ट्रंप की रणनीति रिपब्लिकन पार्टी के गढ़ वाले राज्यों में वोट सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को रोकने, कानूनी मुक़दमे से नतीजे की घोषणा रूकवाने व रिपब्लिकन रुझान के अधिकारियों से काउंटी स्तर पर आपत्ति करवाने की है। अभी तक वे सभी जगह असफल है। और कल मंगलवार तक उन राज्यों में सर्टिफिकेशन की अंतिम तारीखे है जिससे जो बाईडेन का बहुमत प्रामाणिक होगा।

उस नाते ट्रंप और उनकी पार्टी व उनके बुद्धीहीन भक्तों ने जो आग लगाई है उससे अमेरिकी लोकतंत्र अंततः तपा-निखरा उभरेगा। बावजूद इसके अमेरिका ने पूरी दुनिया के आगे यह सवाल तो बनाया है कि अमेरिका जैसे देश में यदि इतने लोग मूर्ख, अविवेकी, झूठे, आंखों में पट्टी बांधे हो सकते है तो इससे इंसान की दिमागी स्थिति को कैसे जांचे-समझे? इंसान कैसे इंसान रूप में भेड़-बकरी का दिमाग लिए हुए होता है? और किन कारणों से ऐसा होता है? कल विचार करेंगे।

Related Articles

Back to top button