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बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकते हैं घुटने :-

बढ़ती उम्र के साथ ही यदि जोड़ों का दर्द इतना असहनीय हो गया है कि चलना फिरना भी दूभर हो गया है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. बिना कोई सर्जरी या मेटल का घुटना लगाए अब आर्थराइटिस में दर्द से आराम मिल सकता है बढ़ती उम्र के साथ ही यदि जोड़ों का दर्द इतना असहनीय हो गया है कि चलना फिरना भी दूभर हो गया है तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. बिना कोई सर्जरी या मेटल का घुटना लगाए अब आर्थराइटिस में दर्द से आराम मिल सकता है. चिकित्सा जगत में अन्य बीमारियों के साथ ही घुटने पर भी स्टेम सेल्स का सफल प्रयोग किया है. बता रहे हैं जाने माने स्टेम सेल्स प्रत्यारोपण सर्जन और आर्थोपेडिसियन डा. बीएस राजपूत:

This homemade recipe will relieve knee pain without surgery,

आर्थराइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी प्रकार की आर्थराइटिस से पीड़ित है. जोड़ो के क्षतिग्रस्त होने की इस बीमारी का अब सटीक इलाज संभव नहीं हो पाया था. दर्द निवारक दवाओं के साथ घुटना या कूल्हा बदलना ही एक मात्र विकल्प होता था. लेकिन बीते कुछ सालों से स्टेम सेल्स थेरेपी एक नये उपचार के रूप में सामने आई है, जिसमें मरीज को घुटना बदलने के समय आने वाली जटिलताओं से बचाया जा सकता है. आइए बीमारी के बारे में विस्तार से जानते |

जोड़ों में किसी भी तरह से आई सूजन जब जोड़ों के विभिन्न हिस्सों जैसे कार्टिलेज और सायनोवियम को क्षतिग्रस्त करना शुरू कर देती है तो जोड़ कमजोर होने लगते हैं. इस स्थिति को ही आर्थराइटिस कहते हैं. अगर समय रहते इलाज किया जाएं जोड़ो को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है, और घुटना बदलने की स्थिति को टाला जा सकता है. चलने फिरने में असहनीय दर्द होने पर चिकित्सक दर्द निवारक दवाओं की जगह घुटना बदलने की ही सलाह देते हैं. यह दवाएं भी अधिक दिन तक नहीं ली जा सकती क्योंकि इससे पेट में अल्सर, किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचती हैं |

एक या ज्यादा जोड़ो में दर्द का बने रहना

लंबे समय तक बैठने या उठते वक्त दर्द होना

सामान्य दिनचर्या के काम करने में भी बाधा उत्पन्न होना

जोड़ों में लालिमा या सूजन का लंबे समय तक बने रहना

चलने के लिए सहारे या फिर वॉकिंग स्टिक की जरूरत महसूस होना
इम्यूनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी की वजह से हुई रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस

कम उम्र में होने वाली एंक्कौयलेजिंग आर्थराइटिस

यूरिक एसिड बढ़ने की वजह से होने वाली गाउटी आर्थराइटिस

चोट लगने के बाद जोड़ में होने वाली विकृति से उत्पन्न आर्थराइटिस

इसके अलावा टीवी, सोरायसिस, सेप्सिस और त्वचा के अन्य संक्रमण के साथ भी आर्थराइटिस हो सकती है |

स्टेम सेल्स क्योंकि अपने तरह की कई नई सेल्स का निर्माण कर सकती हैं, इसलिए जोड़ों में इंजेक्शन के जरिए पहुंचाई गई सेल्स क्षतिग्रस्त सेल्स की जगह नई सेल्स का निर्माण शुरू कर देती हैं. यह सेल्स हड्डियों को अधिक मजबूत बनाने में भी सहायक होती हैं. इसमें मरीज को पूरी तरह ठीक होने में चार से पांच महीने का समय लगता है. स्टेम सेल्स की मदद से रिह्यूमेटौयड आर्थराइटिस (रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से होने वाली आर्थराइटिस) में प्रयोग होने वाली हानिकारक डीएमएआरडी दवाओं से भी छुटकारा मिल सकता है. स्टेम सेल्स के प्रयोग से निर्धारित समय के बाद इन दवाओं की मात्रा कम हो जाती है. आर्थराइटिस के पारंपरिक इलाज में घुटना प्रत्यारोपण या फिर दवाओं के साथ फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती |

घुटने की आर्थराइटिस की ऐसी जगह जहां तिरछापन दस डिग्री से कम हो

बीमारी में यदि घुटने का तिरछापन दस डिग्री से अधिक होता है तो पार्शियल या आधे घुटना प्रत्यारोपण (पीएफओ या मिनी सर्जरी) के साथ स्टेम सेल्स का प्रयोग किया जाता है |

किसी वजह से कार्टिलेज क्षति होने या स्पोटर्स इंजरी में भी स्टेम सेल का प्रयोग किया जा सकता है |

रिह्युमेटौयड आर्थराइटिस में इसकी मदद से विकलांगता को कम किया जा सकता है |

घुटने की आर्थराइटिस की ऐसी जगह जहां तिरछापन दस डिग्री से कम हो

बीमारी में यदि घुटने का तिरछापन दस डिग्री से अधिक होता है तो पार्शियल या आधे घुटना प्रत्यारोपण (पीएफओ या मिनी सर्जरी) के साथ स्टेम सेल्स का प्रयोग किया जाता है |

किसी वजह से कार्टिलेज क्षति होने या स्पोटर्स इंजरी में भी स्टेम सेल का प्रयोग किया जा सकता है |
रिह्युमेटौयड आर्थराइटिस में इसकी मदद से विकलांगता को कम किया जा सकता है |

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