नवंबर माह समाप्ति की ओर होने से एक बार फिर पालिका के समक्ष कर्मचारियों को दो माह का वेतन देने का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि शासन से नवंबर माह की ग्रांट जारी कर दी गयी है, लेकिन यह पैसा दीपावली पर दिए गए बोनस और अन्य कटौतियों में ही चला गया है। अन्य संसाधनों के ठप होने और सुस्त पड़ी कर वसूली से एक बार फिर पालिका की मुश्किलें बढ़ना तय है।
संसाधन होने के बावजूद आय नहीं जुटा पाने से लंबे समय से पालिका आर्थिक संकट से गुजर रही है। ऐसे में कई बार कर्मचारी कार्यबहिष्कार तक कर चुके है। इस माह दीपावली होने के बावजूद जब कर्मियों को बोनस और वेतन नहीं मिला तो कर्मियों ने कार्यबहिष्कार शुरू कर दिया। दिनभर चले कार्यबहिष्कार के बाद आखिरकार पालिका प्रबंधन ने बोनस और प्रत्येक कर्मचारी को वेतन के बजाए दस हजार रुपये अतिरिक्त देने पर सहमति जताई। पालिकाध्यक्ष और ईओ के काफी मनाने के बाद आखिरकार कर्मचारी काम पर लौट गए। अब नवंबर माह समाप्ति की ओर है। ऐसे में कर्मचारी लंबित दो माह के वेतन की उम्मीद लगाए बैठे है। लेकिन बजट न होने से एक बार फिर पालिका की मुश्किलें बढ़ गयी है।
नहीं आयी कर वसूली में तेजी
बजट की कमी के चलते जब कर्मचारी विरोध पर उतर आए तो आनन फानन में पालिका प्रबंधन आय जुटाने के जतन में लग गया। जिसके लिए भवन और सफाई कर का लंबित करीब पांच करोड़ रुपया वसूलने पर भी जोर दिया गया। जिसको लेकर डेढ़ माह पूर्व बाकायदा बोर्ड बैठक में प्रस्ताव भी पास किया गया। कि एक माह में यदि वसूली में तेजी नहीं आयी तो संबंधित अधिकारी का वेतन रोकने की कार्रवाई की जाएगी। जिसके बावजूद कर वसूली में तेजी नहीं आयी। रोजाना 30-40 हजार की वसूली ऊंट में मुह में जीरा प्रतीत हो रही है।
महज दो वार्ड में वितरित हो पाए है बिल
पालिका के कर अनुभाग की सुस्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व में अक्टूबर तक वितरित हो जाने वाले भवन और सफाई कर के बिल अभी पूरी तरह बन तक नहीं पाए है। नवंबर अंत होने को है और पालिका अब तक महज दो वार्डो में ही बिल वितरित कर पाई है।
नवंबर माह की 1.21 करोड़ की ग्रांट मिल चुकी है। जिसका आधा बजट दिए गए बोनस और अन्य कटौतियों में डाल दिया गया है। अन्य माध्यमों से आय जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।