LIVE TVMain Slideउत्तर प्रदेशदिल्ली एनसीआरदेश

यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने लगाई धारा 288 जाने क्या है धारा 288 ?

कृषि कानून के विरोध में किसानों का धरना प्रदर्शन सोमवार को भी बदस्तूर जारी है. यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने झोपड़ियां बनानी शुरू कर दी है. साथ ही जिला प्रशासन की धारा 144 के विरोध में भारतीय किसान यूनियन की धारा 288 को लागू कर दिया गया है.

32 साल बाद एक बार फिर इस धारा को लगाया गया है. इसके तहत किसानों के अलावा किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित है. पहली बार इस धारा का प्रयोग 1988 में किया गाया था.

यूपी गेट पर किसानों ने बैनर चस्पा चेतावनी लिख दी है, बैनर पर लिखा है धारा 288 लागू है. इसका मतलब है पुलिस प्रशासन की तरफ से धारा 144 लगाई हुई है, लेकिन उसके विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने धारा 228 लागू की है.

यूपी: कृषि क़ानूनों के विरोध में किसानों ने सड़क जाम कर किया प्रदर्शन - up  farmers protest road against agrarian laws-mobile

यानी दिल्ली यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित है. सिर्फ किसान ही इस क्षेत्र में आ सकते हैं. तो दूसरी तरफ एक सीमा रेखा खींच दी गई है. दिल्ली से किसी को भी इस सीमा को पार करने की अनुमति नहीं है.

किसानों का कहना है जब तक कोई निर्णय नहीं निकलता किसान इसी तरह से धरना प्रदर्शन जारी रखेंगे. देखना होगा मंगलवार को किसानों की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से होने वाली वार्ता में क्या समाधान निकलता है.

वो धारा 288 क्या है, जिसका ऐलान करके किसानों ने पुलिस को हद में रहने की  चेतावनी दे दी है - What Is Kisaan Dhara 288 Which Farmers Announced To  Impose At

इस बीच शाम तक पंजाब, उत्तराखंड और यूपी से किसानों का जत्था पहुंचता रहा. किसानों की लगातार बढ़ रही संख्या के बीच राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार से वार्ता होने तक यूपी गेट पर ही डटे रहने का एलान किया. इसके बाद आगे की रणनीति बनाने की बात कही.

राकेश टिकैत ने बताया कि यह भाकियू की अपनी धारा है. चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने सबसे पहले 1988 में इस धारा का इस्तेमाल 1988 में दिल्ली में वोट क्लब पर किया था. इस धारा के तहत पुलिस को किसान की हद में नहीं आने दिया जाता है.

किसानों की चेतावनी, बोले, न हम उधर जाएंगे, न कोई इधर आएगा - The Jaisalmer  News

इससे आंदोलन को भी उग्र नहीं होने दिया जाता है. कोई असामाजिक तत्व घुस जाए तो भाकियू उसके खिलाफ भी अपनी धारा-288 के तहत कार्रवाई करती है. यह शांतिप्रिय आंदोलन का तरीका है. टिकैत ने कहा कि भाकियू ने 32 साल बाद देश में दूसरी बार यह धारा लगाई है.

Related Articles

Back to top button