प्रधानमंत्री ने जनपद वाराणसी में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के हण्डिया-राजा तालाब खण्ड के 6-लेन चैड़ीकरण कार्य का लोकार्पण किया
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है कि किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होने पर किसानों को इसका बहुत लाभ मिलता है। बीते वर्षों में गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भण्डारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। इसके लिए 01 लाख करोड़ रुपए का फण्ड भी बनाया गया है।
प्रधानमंत्री जी आज जनपद वाराणसी में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 के हण्डिया-राजा तालाब खण्ड के 6-लेन चैड़ीकरण कार्य को लोकार्पित करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में काशी के सुन्दरीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी के लिए किए गए कार्यों का लाभ सभी देख रहे हैं। नए हाई-वे, पुल-फ्लाईओवर के निर्माण के साथ-साथ, ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान के लिए मार्गों के चैड़ीकरण आदि का जितना कार्य बनारस तथा उसके आस-पास अभी हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि अवस्थापना विकास के कार्यों से गरीबों, छोटे उद्यमियों, मध्य वर्ग के लोगों को लाभ मिलता है। अनेक लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। यह परियोजनाएं श्रमिकों के रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी की टीम द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर कार्यों में अभूतपूर्व तेजी लायी गई है।
आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के रूप में सशक्त हो रही है। यू0पी0 में कनेक्टिविटी के हजारों करोड़ रुपए के 5 मेगा प्रोजेक्ट्स पर एक साथ काम चल रहा है। आज पूर्वांचल हो, बुंदेलखंड हो, पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो, हर कोने को एक्सप्रेसवे से जोड़ा जा रहा है। देश के 2 बड़े और आधुनिक डिफेंस कॉरिडोर में से एक हमारे उत्तर प्रदेश में ही बन रहा है। आधुनिक कनेक्टिविटी के विस्तार से किसानों और खेती को लाभ मिलता है। गांवों में आधुनिक सड़कों, आधुनिक चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज तथा किसान रेल से किसानों को नया बाजार मिल रहा है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जब भी लोग किसी स्थान पर आते-जाते हैं, तो यह देखते हैं कि यात्रा में कितना समय लगेगा। इस परियोजना के पूरा हो जाने से काशी और प्रयागराज की दूरी अब कम हो गई है। काशी को आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का उपहार मिला है। इसका लाभ काशी के साथ प्रयागराज को भी प्राप्त होगा।
हण्डिया से राजा तालाब तक लगभग 70 कि0मी0 के रास्ते में आने-जाने में दिक्कत होती थी। वर्ष 2013 में यह हाई-वे सिर्फ 4-लेन था। आज 6-लेन हो गया है। इसका लाभ कांवड़ यात्रा सहित कुम्भ के दौरान भी मिलेगा। इस हाई-वे के बन जाने से सुल्तानपुर और आजमगढ़ से आने-जाने वाले भारी वाहन, काशी से बाहर-बाहर सीधे निकल सकेंगे। वाराणसी, लखनऊ, आजमगढ़ और गोरखपुर आने-जाने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी के सुन्दरीकरण के साथ बेहतर कनेक्टिविटी पर भी कार्य हो रहा है। रेल तथा रोड कनेक्टिविटी एवं हवाई मार्ग को सुधारा जा रहा है। पिछले 06 साल से काशी को कई परियोजनाएं मिल रही हैं। बनारस वासियों की दिक्कतें कम हों, उनका जीवन आसान हो, हम इस ओर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट को जोड़ने वाली सड़कों के विकास कार्य से काशी की नई पहचान बनी है। वाराणसी सहित पूर्वांचल क्षेत्र में बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है। इसका लाभ पूरे क्षेत्र को मिलेगा।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वाराणसी में पेरिशेबल कार्गो सेण्टर बन जाने से अब यहां के किसानों को फल और सब्जियों को स्टोर करके रखने और उन्हें आसानी से बेचने की बहुत बड़ी सुविधा मिली है। इस स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार यहां के किसानों की उपज बड़ी मात्रा में निर्यात हो रही है। आज सरकार के प्रयास से किसान को लाभ मिल रहा है। किसान विदेश में निर्यात कर रहा है। दुबई से लेकर लंदन तक हवाई मार्ग से सब्जियां पहुंचाई गई हैं। पैकेजिंग की सुविधा के लिए दूसरे बड़े शहरों में जाने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि माँ अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से किसानों को आत्मनिर्भर और उन्नत बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को हो रहे लाभ का एक बेहतरीन उदाहरण चन्दौली का काला चावल-ब्लैक राइस है। यह चावल चन्दौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है।
चन्दौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 02 साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था। पिछले साल खरीफ के सीजन में करीब 400 किसानों को यह चावल उगाने के लिए दिया गया। इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया।
सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं यह बेहतरीन चावल 300 रुपए किलो तक बिक रहा है। बड़ी बात यह भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाजार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को यह चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।
नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मण्डी के बाहर हुए लेन-देन ही गैर-कानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मण्डी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे का शिकार होने से बचाने के लिए कानूनी संरक्षण भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है?
सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है, तो कुछ सवाल भी स्वाभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में यह जीवन्त परम्परा रही है। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं, बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है, लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। यह वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
एम0एस0पी0 तो घोषित होता था लेकिन एम0एस0पी0 पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक एम0एस0पी0 को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे, लेकिन छोटे और सीमान्त किसानों तक यह पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्जमाफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 01 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे। यानि योजनाओं के नाम पर छल। जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वाभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है। दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है।
जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे, तो सच अपने आप सामने आ जाएगा। हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 06 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बन्द थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई। हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुना एम0एस0पी0 देंगे। यह वादा सिर्फ कागजों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है।
सिर्फ दाल की ही बात करें तो वर्ष 2014 से पहले के 05 सालों में लगभग साढ़े 600 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं। लेकिन इसके बाद के 05 सालों में हमने लगभग 49 हजार करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं, यानि लगभग 75 गुना बढ़ोतरी। वर्ष 2014 से पहले के 05 सालों में पहले की सरकार ने 02 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था। लेकिन इसके बाद के 05 सालों में एम0एस0पी0 के रूप में 05 लाख करोड़ रुपए की धान खरीद किसानों से की गई है। यानि लगभग ढाई गुना ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है। वर्ष 2014 से पहले के 05 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। वहीं हमारे 05 सालों में 03 लाख करोड़ रुपए गेहूं किसानों को मिल चुका है, यानि लगभग दोगुना।
केन्द्र सरकार मण्डियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। अगर मण्डियों और एम0एस0पी0 को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? यही जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर सवाल उठाते थे। अफवाह फैलाते थे कि चुनाव को देखते हुए यह पैसा दिया जा रहा है और चुनाव के बाद यही पैसा ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा। एक राज्य की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है।
अब तक लगभग 01 लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने वाराणसी और प्रयागराज को जोड़ने वाले 6-लेन हाई-वे के लोकार्पण के अवसर पर बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में पधारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रदेश के सभी नागरिकों की ओर से स्वागत और अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भारत को दुनिया के सामने मजबूती के साथ प्रस्तुत किया है।
भारत को आत्मनिर्भर बनाने, स्थानीय उत्पादों को आगे बढ़ाने, विकास योजनाओं का लाभ प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाने का काम पूरी ईमानदारी के साथ हो रहा है। साढ़े तीन वर्षों में प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेण्ट के कार्यक्रम आगे बढ़े हैं। आज उसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में हाई-वे निर्माण की गति 02 कि0मी0 प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बाबा विश्वनाथ जी की इस पावन धरती काशी में अनेक योजनाओं को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। यह काशी के विकास की नई गौरवगाथा को आगे बढ़ाने की कहानी है, जिसके लिए काशी का प्रत्येक नागरिक वर्षों से सदियों से उतावला था। काशी अपनी पुरानी काया और नए कलेवर के साथ वैश्विक मंच पर एक बार फिर से जगमगा रही है। छह वर्षों के दौरान काशी में लगभग 18 हजार करोड़ रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास हुआ।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश के युवाओं व समाज के विभिन्न तबकों के लिए प्रधानमंत्री जी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपए की घोषणा कर उसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन कराया है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती के साथ आगे बढ़ाया है।
कोरोना कालखण्ड के दौरान देश की जनता को सुरक्षित रखने और 1.76 लाख करोड़ रुपए का ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ घोषित कर सबके स्वास्थ्य, भोजन और इलाज की चिंता करने वाले प्रधानमंत्री जी ने प्रदेश को भी भरपूर आशीर्वाद दिया है।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य सहित अन्य जनप्रतिनिधि तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
ज्ञातव्य है कि यह राजमार्ग स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना-1 (दिल्ली-कोलकाता काॅरिडोर) का भी एक प्रमुख भाग है। यह जनपद प्रयागराज, भदोही, मीरजापुर एवं वाराणसी के अधीन प्रभागों से गुजरता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की इस परियोजना की कुल लम्बाई 72.644 कि0मी0 है तथा इसकी लागत 2447 करोड़ रुपए है। पूर्व में वाराणसी से प्रयागराज के मध्य यात्रा में लगभग साढ़े 03 घण्टे का समय लगता था। इस परियोजना के पूर्ण होने के पश्चात अब यह यात्रा मात्र डेढ़ घण्टे में तय की जा सकेगी।