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उत्तर प्रदेश: मोबाइल फोन से कंट्रोल होगी वाटर सप्लाई :-

नगर निगम की टंकी से पानी नहीं आ रहा है या बहुत कम आ रहा है. वाटर सप्लाई में प्रेशर न होने के कारण दूसरी और तीसरी मंजिल पर पानी नहीं चढ़ रहा है. पाइपलाइन लीक है जिसके चलते गंदा पानी सप्लाई हो रहा है. यूपी में शहरों में पानी सप्लाई से जुड़ी ऐसी रोजमर्रा की शि‍कायतों को दूर करने के लिए हाइटेक पहल हुई है. शहर में नई पुरानी सभी पानी की टंकियों में पेयजल भरने से लेकर आपूर्ति तक पूरा सिस्टम ऑनलाइन निगरानी में आने जा रहा है. इसको लेकर अमृत योजना के तहत सुपरवाइजरी कंट्रोल ऐंड डेटा एक्विजिशन यानी “स्काडा” लागू हो रहा है जिसमें पानी की टंकी में पानी भरने के बाद सेंसर से पता चलेगा कितना पानी भर गया है. उसके बाद वहां से पानी आपूर्ति होने पर उसकी धारा की तीव्रता, पानी की मात्रा, पानी की गुणवत्ता का पूरा लेखा-जोखा एक हाइटेक कंट्रोल रूप में दर्ज होगा. नए सिस्टम के जरिए यह भी पता चलेगा कि पानी की टंकी से कहां कितनी आपूर्ति हुई है. इसके लिए ट्यूबवेल में ही पूरा कंट्रोल पैनल, फलो मीटर, फलो रीडिंग मीटर, लेवल सेंसर, प्रेशर सेंसर, आटोमैटिक वाल्व सिस्टम लगाया जा रहा है. इन सभी डिजीटल उपकरणों को ऑनलाइन जोड़ा जाएगा. इसकी निगरानी के लिए नगर निगम के इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर में अलग से कंट्रोल रूम बनेगा. नगर विकास विभाग के एक अधि‍कारी के मुताबिक, ये ठीक उसी तर्ज पर काम करेगा जैसा कैमरों से चौराहों पर यातायात की निगरानी की व्यवस्था तैयार की जा रही है. कंट्रोल रूम में बैठे कर्मी इसकी निगरानी कर पूरा डेटा अपडेट रखेंगे. इसके साथ एक मोबाइल ऐप के जरिए अधि‍कारी भी वाटर सप्लाई पर नजर रख सकेंगे और जरूरत के हिसाब से इसमें परिवर्तन भी कर सकेंगे |

Water Problem Complain Will Solve In One Phone Call News In Hindi - पीने के  पानी की हो समस्या तो यहां करें शिकायत, दूर होगी समस्या | Patrika News

अमृत (अटल मिशन फॉर रिजूवेशन ऐंड अर्बन ट्रांसफार्मेशन) योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सरकार ने 60 नगर निकायों का चयन कर वहां आवश्यक बुनियादी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराना शुरू किया है. वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक की मिशन अवधि पांच वर्ष तय है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 1,142.87 करोड़ रुपये दिए हैं. प्रदेश सरकार ने केंद्रीय धनराशि तथा राज्य और नगर निकाय की अंश धनराशि से काम कराया है. अमृत योजना के तहत प्रदेश में अब तक पेयजल के 10,94,238 प्रस्तावित गृह संयोजन (कनेक्शन) के सापेक्ष 5,42,847 संयोजन व सीवरेज के 9,69,487 संयोजन के सापेक्ष 4,51,691 संयोजन दिये जा चुके हैं. इस योजना में वित्तीय वर्ष 2019-20 में पेयजल की 14 परियोजना एवं 13 सीवरेज की परियोजनाएं संचालित हैं. इन 27 परियोजनाओं की वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद कार्य शुरू हो गए हैं. अमृत योजना की शुरुआत से अब तक पेयजल की 163 एवं सीवरेज की 96 परियोजना और कुल 259 परियोजनाओं की वित्तीय स्वीकृत मिली है. जिसमें 243 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. इसमें पेयजल की 44 एवं सीवरेज की 16 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. नगर विकास विभाग में अमृत मिशन की निगरानी से जुड़े एक अधि‍कारी कहते हैं, “स्काडा प्रोजेक्ट बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पेयजल की पूरी निगरानी का तंत्र विकसित होगा. कंट्रोल रूम से पूरे शहर की पानी की आपूर्ति पर नजर रखी जाएगी. कहीं भी खराबी की सूचना अविलंब मिलेगी. जिससे उसको तत्काल दुरुस्त किया जा सकेगा. नलकूपों को संचालित करने में मनमानी नहीं हो पाएगी. पेयजल आपूर्ति का समय दुरुस्त होगा.” सरकारी दावे किस तरह जमीन पर उतर पाएंगे यह तो आने वाला समय भी बताएगा.

इस तरह कंट्रोल होगी वाटर सप्लाई

कंट्रोल पैनल: नलकूप में लगने वाले इस पैनल से पूरा सिस्टम कंट्रोल होगा.

फ्लो मीटर: इससे नलकूप से निकलने वाले पानी और आपूर्ति हुए पानी की मात्रा नापी जाएगी.

फ्लो रीडिंग मीटर: फ्लो मीटर की रीडिंग का डिजीटली रिकार्ड करने का उपकरण.

लेवल सेंसर: ये भूजल का स्तर बताएगा, जिससे भविष्य की पेयजल योजना बनती रहेगी.

प्रेशर सेंसर: इससे पाइपलाइन का पूरा प्रेशर नाप कर उसको दुरुस्त रखा जाएगा

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