किसानों के सामने झुकी मोदी सरकार, तीन दिसंबर के बजाय आज तीन बजे करेगी वार्ता, फिर भी विरोध :-
देश के लाखों किसानों के आंदोलन के सामने आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को झुकना पड़ा है। मोदी सरकार का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार (एक दिसंबर, 2020) को तीन बजे दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों से वार्ता करेगा। पहले सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीन दिसंबर को वार्ता की तारीख तय की थी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार की रात कहा कि सरकार ने अब किसान संगठनों को एक दिसंबर को तीन बजे वार्ता के लिए बुलाया है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि 13 नवंबर को हमलोगों ने तय किया था कि अब इस मुद्दे पर अगले चरण की वार्ता तीन दिसंबर को होगी, लेकिन किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि कोविड संकट के बीच किसानों के आंदोलन को देखते हुए हमने इसकी तारीख एक दिसंबर की है। उन्होंने सभी किसान संगठनों को मंगलवार को तीन बजे विज्ञान भवन में पहले चक्र की वार्ता के लिए आमंत्रित किया है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को हमारी सरकार द्वारा पारित तीन किसान कानून को लेकर कुछ संशय है, इसलिए हम उनके संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। तोमर ने मोदी सरकार के तीन किसान कानून की तीखी आलोचनाओं का बचाव करते हुए हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के छह साल के नेतृत्व में किसानों की आय बढी है और उनके लिए कई ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि 14 अक्टूबर व 13 नवंबर को हम किसान यूनियन से दो चरण में वार्ता भी कर चुके हैं।
मालूम हो कि किसान संगठनों ने मोदी सरकार के कृषि कानून का विरोध किया है, जिसमें परंपरागत मंडी व्यवस्था खत्म किए जाने का प्रावधान किया है और किसान व कारोबारी दोनों बिना किसी अवरोध के कहीं भी कृषि उपज खरीद व बेच सकते हैं। किसान संगठनों का कहना है कि इससे खेती-किसानी असुरक्षित हो जाएगी और बड़े कारोबारियों का कृषि उपज में प्रवेश हो जाएगा जिससे कांट्रेक्ट फार्मिंग का भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। वे परंपरागत व्यवस्था को अपने लिए सुरक्षा कवच बता रहे हैं, जबकि मोदी सरकार का कहना है कि इससे किसानों कोे उनकी उपज की अधिक कीमत मिलेगी। किसान एमएसपी को लेकर नए कानून में किसी तरह का प्रावधान नहीं किए जाने से भी असंतुष्ट हैं।
वहीं, कई किसान नेताओं ने मोदी सरकार की वार्ता की इस पेशकश को ठुकरा दिया है। पंजाब किसान संघर्ष कमेटी के संयुक्त सचिव सुखविंदर एस सभरन ने कहा कि देश में करीब 500 किसान समूह हैं, पर सरकार ने मात्र 32 समूहों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि हमलोग तब तक वार्ता के लिए नहीं जाएंगे जब तक देश के सभी किसान समूहों को इसके लिए नहीं बुलाया जाएगा।