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पंजाबी गीतकारों ने गानों के माध्यम से कृषि बिल के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किसानों को किया प्रोत्साहित

पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री पर खालिस्तान, बंदूक संस्कृति और अफीम के इर्द-गिर्द गाने बनाने के आरोप लगते हैं। अब ऐसे में इस बार गीतकारों ने किसानों को एकजुट करने के लिए गीत लिखे है। जी हाँ, लिखे गए इन गीतों में किसानों को नए कृषि कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक किसान विरोध को प्रोत्साहित करने वाले गीतों में भूमि खोने का डर, हथियारों का महिमामंडन, धमकी और नई दिल्ली के लिए एक खुला चैलेंज दिखाया गया है।

वहीं अब तो कई पंजाबी गायकों, अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं ने विरोध प्रदर्शनों में भाग लेकर किसानों को समर्थन देने की घोषणा की है। अब बात करें गीतों की तो उनका मुख्य निशाना सरकार और नया कृषि-कानून है। आप सुन सकते हैं सिंगर बाजवा द्वारा गाया गया गीत ‘जट्टा तगड़ा हो जा’ 19 सितंबर को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था। इस गाने में कहा गया है कि ‘सरकारों ने हमेशा किसानों के साथ विश्वासघात किया है। साथ ही गीत में उन्हें एकजुट होने के लिए कहा है।’

इसके अलावा अनमोल गगन मान द्वारा गाया गया गीत ‘किसान बनाम राजनीति’ को 24 सितंबर को रिलीज हुआ था। इस गाने में कहा गया है कि ‘जो किसान अपने कंधे पर कुदाल रखता है वह बंदूक भी उठा सकता है।’ वहीं इन दोनों के अलावा हिम्मत संधू द्वारा गाए गए गीत ‘असी वड्डंगे’ (हम काट देंगे) सरकार को चेतावनी देता है कि हम (किसान) हर उस अजनबी पैर को काट देंगे जो उनके खेत में आएगा। इसी के साथ सिंगर आर नाइत द्वारा गाया गया गाना ‘दिल्ली आ पंजाब नाल पंगे ठीक नहीं’ भी है। इस तरह और कई गाने हैं जो किसानों के लिए गाये गए हैं।

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