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भोपाल गैस त्रासदी: 36 साल बाद भी सरकार की बेरुखी का सामना कर रहे हैं पीड़ित :-

पिछले 36 सालों से सरकार की बेरुखी का सामना कर रहे भोपाल गैस पीड़ितों के लिए साल 2020 एक कहर बनकर सामने आया है। 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ की अपील के ठीक एक दिन बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल मेमोरियल अस्पताल को राज्य स्तरीय कोरोना उपचार केंद्र बना दिया। यह जानते हुए भी कि बीएमएचआरसी मध्य प्रदेश सरकार के अधीन नहीं है, 23 मार्च को कोविड 19 बीमारी की रोकथाम हेतु मध्य प्रदेश सरकार ने बीएमएचआरसी को राज्य स्तरीय कोविड-19 उपचार संस्थान के रूप में चिह्नित कर दिया।

Bhopal Gas Tragedy को 36 साल पूरे, लेकिन पीड़ित अब भी कर रहे इन बड़ी  परेशानियों का सामना | bhopal gas tragedy 36 years completed but victims  facing these problems - Hindi Oneindia

सरकार के इस निर्णय ने पहले से ही कई खतरनाक बीमारियों से लड़ रहे गैस पीड़ितों को झकझोर कर रख दिया। मध्य प्रदेश सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग सगंठन और भोपाल गैस पीड़ित सघंर्ष सहयोग समिति ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग, मध्य प्रदेश सरकार को इस आदेश को तुरंत निरस्त करने को लेकर पत्र लिखा।

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले में संज्ञान न लेता देख, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने उच्चतम न्यायालय से मदद की गुहार लगाई। इस दौरान एक अन्य मामले के सुनवाई के चलते सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के सामने अपनी बात रखने को कहा। इस बीच मध्य प्रदेश सरकार ने अपने पूर्व के निर्णय को पलटते हुए भोपाल मेमोरियल अस्पताल में दोबारा से केवल भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार को शुरू करने का निर्णय 15 अप्रैल को लिया।

इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार का एक दूसरा फैसला जिसने गैस पीड़ितों की पीड़ा बढ़ाने का काम किया वो था दिसंबर 2019 से विधवा पेंशन की राशि को बंद कर देना। इस फैसले के खिलाफ बालकृष्ण नामदेव की संस्था भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा ने मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ कई प्रदर्शन किए और आज भी प्रमुखता से आवाज उठाने का काम कर रही है। भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति ने इस मामले को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से मदद की गुहार की।

बता दें कि भोपाल की गैस त्रासदी पूरी दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक है। तीन दिसंबर, 1984 को आधी रात के बाद यूनियन कार्बाइड की फैक्टरी से निकली जहरीली गैस (मिक या मिथाइल आइसो साइनाइट) ने हजारों लोगों की जान ले ली थी।

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