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आज पांचवें दौर की बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मीटिंग में रहे मौजूद

नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसानों और केंद्र सरकार में टकराव बरकरार है। विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच आज पांचवें दौर की बातचीत चल रही है। किसानों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों से टस से मस नहीं होंगे।

शनिवार की बैठक में सरकार से दो टूक कह दिया गया कि अब आगे बातचीत नहीं होगी। इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सुबह कैबिनेट के वरिष्‍ठ साथियों को आवास पर बुलाया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि नरेंद्र सिंह तोमर इस मीटिंग में मौजूद रहे।

सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने किसान नेताओं से कहा कि सरकार पंजाब की भावनाओं को समझती है और उनकी चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार है। उधर, किसान नेता आज की बैठक में भी कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर कायम हैं आज भी किसानों ने अपना खाना खाया, जो कुछ देर पहले एक वाहन से उनके लिया विज्ञान भवन लाया गया था। किसान नेताओं ने लाइन में लगकर प्लेट में भोजन लिया और वहीं जमीन पर बैठकर खाया।

पांचवें दौर की बैठक के दौरान, किसानों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार से पिछली बैठक का पॉइंटवाइज जवाब देने की मांग की। इसपर सरकार राजी हो गई है। सरकार अपने जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को उपलब्ध कराएगी बैठक में किसानों ने कहा कि उन्‍हें इस पूरे विवाद का कोई हल/पक्‍का वादा चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि वे आगे चर्चा नहीं चाहते और यह भी नहीं जानना चाहते कि सरकार ने उनकी मांगों पर क्‍या फैसला किया है। इससे पहले, आजाद किसान संघर्ष समिति के पंजाब प्रमुख हरजिंदर सिंह टांडा ने कहा हम कानूनों का पूरी तरह से रोलबैक चाहते हैं। अगर सरकार हमारी मांग नहीं मानती तो हम धरना जारी रखेंगे।

हजारों किसानों ने दिल्‍ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है। सिंघु बॉर्डर हो या फिर नोएडा से लगा चिल्‍ला बॉर्डर, किसान सड़कें जाम कर बैठे हुए हैं। चिल्ला बॉर्डर पर समाजवादी पार्टी के एक नेता किसानों के लिए खाने-पीने का सामान लेकर पहुंचे थे। किसानों ने किसी राजनीतिक पार्टी से मदद नहीं लेने की बात कहकर उन्हें वापस लौटाया।

नए कृषि कानून को लेकर किसानों को हैं ये कुछ डर। …..

1. किसानों का मानना है कि कृषि बाजार और कंट्रैक्ट फार्मिंग पर कानून से बड़ी कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। कृषि खरीद पर कंपनियों का नियंत्रण होगा। कृषि उत्पादों की सप्लाई और मूल्यों पर भी उनका कब्जा हो जाएगा। भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग और फसलों के ट्रांसपोटेशन पर भी एकाधिकार की आशंका। नए कानून से मंडी सिस्टम के खत्म हो जाएगा।

2. आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन से जमाखोरी और ब्लैक मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा। सभी शहरी और ग्रामीण गरीबों को बड़े किसानों और प्राइवेट फूड कॉर्पोरेशनों के हाथों में छोड़ देना होगा।

3. कृषि व्यापार कंपनियां, प्रोसेसिंग कंपनियां, होलसेलर्स, ऐक्सपोर्टर्स और बड़े रिटेलर्स अपने हिसाब से बाजार को चलाने की कोशिश करेंगे। इससे किसानों को नुकसान होगा।

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4. इस कानून में विवादों के निपटारा के लिए SDM कोर्ट को फाइनल अथॉरिटी बनाया जा रहा है। किसानों की मांग है कि उन्हें उच्च अदालतों में अपील का अधिकार मिलना चाहिए।

5. कृषि अवशेषों के जलाने पर किसानों को सजा देने को लेकर भी किसानों में रोष है। किसानों का कहना है कि नए कानून में किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत किए बिना नियम बना दिए गए हैं।

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