Main Slideदेशबड़ी खबर

सिटिंग जज सरकारी आयोग का चेयरपर्सन नहीं बन सकते :-

हाई कोर्ट के किसी सिटिंग जज को किसी सरकारी आयोग का चेयरपर्सन नहीं बनाया जा सकता है। अगर नियुक्त किया जाता है तो वह चेयरपर्सन की जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ हाई कोर्ट के जज के रूप में न्यायिक या प्रशासनिक कार्य का निर्वाह नहीं कर सकता है।

सिटिंग जज सरकारी आयोग का चेयरपर्सन नहीं बन सकते | | Sanmarg

 

हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी बी राधाकृष्णन और जस्टिस अरिजीत बनर्जी के डिविजन बेंच ने एक पीआईएल के मामले में यह फैसला सुनाया है। एडवोकेट सब्यसाची चटर्जी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अपूर्व भट्टाचार्या ने यह पीआईएल दायर की थी। इसमें वेस्ट बंगाल क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट्स (रजिस्ट्रेशन, रेगुलेशन एंड ट्रांसपरेंसी) एक्ट की धारा 36(2)(ए) की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। डिविजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि बुनियादी सवाल यह है कि क्या सरकार को इस धारा के तहत किसी सिटिंग जज को किसी कमिशन का चेयरपर्सन बनाने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए डिविजन बेंच ने कहा है कि किसी कमिशन का पूर्णकालिक चेयरपर्सन बनाये जाने के बाद सिटिंग जज अपने न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्य का निर्वाह नहीं कर सकता है। भले ही वह अपने पद पर बना रह सकता है। अगर कोई सिटिंग जज सेवानिवृत्त होने के कगार पर है और उसकी इस पद पर नियुक्ति होती है तो उसे इस बात पर रजामंदी जतानी पड़ेगी कि वह बाकी अवधि में न्यायिक कार्य नहीं करेगा। डिविजन बेंच ने कहा है कि इस आधार पर एक्ट की 36(2)(ए) धारा को अवैधानिक नहीं करार दिया जा सकता है।

Related Articles

Back to top button