मंगलेश डबराल पंचतत्व में विलीन :-
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि एवं पत्रकार मंगलेश डबराल का गुरुवार को यहां अंतिम संस्कार कर दिया गया। बहत्तर वर्षीय डबराल का कोरोना से ग्रस्त होने के कारण बुधवार को निधन हो गया था। उन्हें गत दिनों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया था जहां कल शाम सवा सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। कोरोना ग्रस्त होने के कारण डबराल के अंतिम संस्कार में कम लोगों के भाग लेने की अनुमति थी। लोदी रोड शवदाहगृह में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इस मौके पर कई लेखक, पत्रकार और संस्कृति कर्मी मौजूद थे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, वरिष्ठ पत्रकार मनोहर नायक, विपिन धुलिया और उमाकांत लखेड़ा आदि मौजूद थे। डबराल के निधन पर सैकड़ों लेखकों और पत्रकारों ने श्रद्धांजलि दी है।
सहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव ने अपने शोक संदेश में कहा कि डबराल एक अच्छे और लोकप्रिय कवि ही नहीं, श्रेष्ठ अनुवादक तथा संगीत और सिनेमा के गहरे पारखी थे। उनके किये अनुवादों से हिंदी पाठक कई विदेशी कवियों को पढ़ और समझ पाये । साहित्य अकादमी को उनका सहयोग और मार्गदर्शन मिलता रहा था। उन्होंने कहा कि डबराल के निधन से भारतीय साहित्य को बड़ी क्षति पहुंची है। सोलह मई 1948 को उत्तराखंड के टिहरी जिले के काफलपानी गांव में जन्मे डबराल के निधन से सहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है। प्रसिद्ध लेखक अशोक वाजपेयी, प्रयाग शुक्ल, मैत्रेयी पुष्पा, असगर वजाहत, पंकज बिष्ट, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, असद जैदी, विष्णु नागर और रामजी राय ने डबराल के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।