उ0प्र0 चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नियमावली-2020’ के प्रख्यापन का प्रस्ताव स्वीकृत
मंत्रिपरिषद ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने व चिकित्सीय व्यवस्था के सुधार हेतु चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में नवीन ‘उत्तर प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नियमावली-2020’ के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में वर्तमान में चिकित्सकों के कुल 19,011 पद सृजित हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के 8,431 पद और एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों के 10,580 पद सृजित हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के वर्तमान में स्वीकृत 8,431 पदों के सापेक्ष केवल 2,922 पद भरे हुए हैं और 65 प्रतिशत पद (5,509 पद) रिक्त हैं।
प्रदेश व अन्य राज्यों में प्रति वर्ष काफी संख्या में विशेषज्ञ योग्यता (स्नातकोत्तर उपाधि) उत्तीर्ण करने के बावजूद, प्रदेश में लक्ष्यानुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती सुनिश्चित नहीं हो पा रही है। इसका प्रमुख कारण यह है कि वर्तमान में उ0प्र0 चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा नियमावाली में केवल एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों की ही सीधी भर्ती का प्राविधान है जबकि विशेषज्ञ चिकित्सकों के सृजित 8,431 स्वीकृत पदों के बावजूद उनकी भर्ती के संबंध में कोई विशिष्ट व्यवस्था नहीं है।
नयी नियमावली में संवर्ग में कुल पदों की संख्या यानि 19,011 पद (10,580-एम0बी0बी0एस0 पद एवं 8,431-विशेषज्ञ पद) को यथावत् बनाये रखा गया है। चिकित्सा अधिकारी, ग्रेड दो (स्तर-2) के विशेषज्ञतावार सीधी भर्ती हेतु उपलब्ध पद अथवा संवर्ग में उपलब्ध विशेषज्ञ पदों की कुल संख्या का विशेषज्ञतावार विभाजन (स्तर-2 से स्तर-7 तक) किया गया है।
इससे उ0प्र0 लोक सेवा आयोग से सीधी भर्ती के माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धतता सुनिश्चित होगी। उत्तर प्रदेश की जन-स्वास्थ्य प्रणाली में वर्तमान में विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता के सापेक्ष उपलब्धता में कमी से जनसामान्य को उपलब्ध करायी जाने वाली चिकित्सीय सेवाओं एवं सुविधाओं को प्रदेश व समाज के अन्तिम छोर तक पहुंचाना शासन की प्राथमिकता है।
जन-स्वास्थ्य प्रणाली में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा अन्तरिम रूप से कई विकल्पों जैसे-वॉक-इन-मॉडल, बिडिंग मॉडल, विशेषज्ञ चिकित्सकों का सूचीबद्धीकरण (म्उचंदमसउमदज), एम0बी0बी0एस0 चिकित्सकों का एल0एस0ए0एस0/ई0एम0ओ0सी0 में प्रशिक्षण
एवं स्नातकोत्तर योग्यता को वरीयता, ‘वीडियो-परामर्श’ एवं ‘टेली-परामर्श’ जैसे तकनीकी विकल्पों तथा मोबाइल मेडिकल यूनिट/एम्बुलेंसों आदि के माध्यम से प्रयास किए गये हैं। इन अन्तरिम व्यवस्था से चिकित्सा सेवाओं में आंशिक सुधार परिलक्षित हुए हैं, परन्तु दूरगामी परिणामों हेतु व्यवस्थागत सुधारों की आवश्यकता पायी गयी।