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सुप्रीम कोर्ट : किसानों के आंदोलन में इस समय न्यायालय नहीं करेंगे हस्तक्षेप

प्रदर्शन करने के अधिकार को मूल अधिकार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि किसानों के आंदोलन में इस समय न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा और इसे ‘बगैर किसी बाधा’ के जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए.

इसने कहा कि न तो प्रदर्शनकारी और न ही पुलिस शांति भंग करे. शीर्ष न्यायालय ने केंद्र और आंदोलनरत किसानों के बीच जारी गतिरोध को तोड़ने की अपनी कोशिश के तहत तीन नए कृषि कानूनों को स्थगित रखने का विचार दिया है, ताकि उनके बीच वार्ता जारी रह सके.

इस बीच, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों के नाम आठ पृष्ठों का एक खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि केंद्र उनकी सभी चिंताओं का निराकरण करने के लिए तैयार है. न्यायालय द्वारा दिए गए सुझाव का विरोध करते हुए केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि अगर इन कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित रखा गया, तो किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आएंगे.

हालांकि, केंद्र के शीर्ष कानून अधिकारी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि तीनों कानूनों को स्थगित रखे जाने पर निर्देश लेने के बाद वह वापस आएंगे.

न्यायालय ने किसानों के अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करते हुए सुझाव दिया कि केन्द्र फिलहाल इन तीन विवादास्पद कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित कर दे क्योंकि वह इस गतिरोध को दूर करने के इरादे से कृषि विशेषज्ञों और किसान संघों की एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ समिति गठित करने पर विचार कर रहा है.वहीं नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर 23 वें दिन भी जारी है.

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