दिल्ली समेत तीन राज्यों में आये भूकंप के तेज झटके
कड़कड़ाती ठंड में लोग जल्दी ही खाना खाकर सोने चले जाते हैं। आमतौर पर 11 बजे तक लोग सो जाते हैं। ऐसे में अगर भूंकप तेज आ जाए तो भारी जान माल का नुकसान हो सकता है। आज देर रात दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस हुए।
ये झटके इतने तेज थे कि लोगों को महसूस हुए और डर के कारण लोग सड़कों पर भागे। केवल दिल्ली ही नहीं ये झटके नोएडा और गाजियाबाद में भी लोगों को पता चले। बीते 24 घंटे में राजस्थान और मणिपुर में भी भूकंप आया।
दिल्ली एनसीआर में लगभग 11.46 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों ने झटकों को महसूस किया और लोग घरों से बाहर निकल गए। शुरुआती जानकारी के मुताबिक भूकंप की तीव्रता 4.2 बताई जा रही है। भूकंप का केंद्र गुरुग्राम से 48 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम बताया जा रहा है। इससे पहले 2 दिसंबर को तड़के दिल्ली-एनसीआर में हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
राजस्थान के सीकर जिले में भी गुरुवार शाम भूकंप के झटके महसूस किए गए। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार भूंकप की तीव्रता 3.0 रेक्टयर मापी गई है। इस संबंध में भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र ने भी पुष्टि कर दी है। मिली जानकारी के अनुसार इस भूंकप का लेटिट्यूट नार्थ साइड में 27.40 और लॉगिट्यूट ईस्ट दिशा में 75.43 मापा गया है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, गुरुवार रात्रि Moirang में Manipur के निकट रिक्टर पैमाने पर 3.2 तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए। एजेंसी के अनुसार, भूकंप का केंद्र मोइरंग,मणिपुर से 38 किलोमीटर दक्षिण में था। भूकंप भारतीय समयानुसार 10:03 PM बजे सतह से 36 किलोमीटर की गहराई में आया।
भूकंप के मामले में दिल्ली बेहद संवेदनशील है। भूवैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में रखा है। यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। दिल्ली में भूकंप की आशंका वाले इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर और गुड़गांव, रेवाड़ी तथा नोएडा के नजदीकी इलाके शामिल हैं।
दिल्ली में अप्रैल-मई के भीतर पांच भूकंप आ चुके हैं। 10 मई को 3.4 तीव्रता वाली भूकंप का केंद्र सतह से पांच किलोमीटर की गहराई में स्थित था। इसमें किसी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं मिली। इसके अलावा 3 मई को भी एक हल्का भूकंप आया था।
इससे पहले, 12 अप्रैल को दिल्ली-NCR में शाम 5:50 के करीब भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसके बाद 13 अप्रैल को फिर भूकंप आया था। इस दिन रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.7 दर्ज की गई थी। लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में ही हैं, ऐसे में भूकंप के झटके आने पर पैनिक फैल गया था।
भारतीय उपमहाद्वीप में विनाशकारी भूकंप आते रहे हैं। 2001 में गुजरात के कच्छ क्षेत्र में आए भूकंप में हजारों की संख्या में लोग मारे गए थे। भारत तकरीबन 47 मिलीमीटर प्रति वर्ष की गति से एशिया से टकरा रहा है। टेक्टॉनिक प्लेटों में टक्कर के कारण ही भारतीय उपमहाद्वीप में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। हालांकि भूजल में कमी से टेक्टॉनिक प्लेटों की गति में धीमी हुई है।
भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त वैज्ञानिक जानकारियों के आधार पर पूरे भारत को चार भूकंपीय जोनों में बांटा है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक जोन 5 है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। जानिए भारत का कौन सा क्षेत्र किस जोन में स्थित है।
जोन 5
जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है। इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
जोन-4
जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है।
जोन-3
जोन-3 में केरल, गोवा, लक्षद्वीप द्वीपसमूह, उत्तर प्रदेश के बाकी हिस्से, गुजरात और पश्चिम बंगाल, पंजाब के हिस्से, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।
जोन-2
जोन-2 भूकंप की दृष्टि से सबसे कम सक्रिय क्षेत्र है। इसे सबसे कम तबाही के खतरे वाले क्षेत्र की श्रेणी में रखा गया है। जोन-2 में देश का बाकी हिस्से शामिल हैं।