पाकिस्तानी पीएम अब्बासी ने सीमा और सुरक्षा के मुद्दे पर बुलाई एनएससी की टॉप मीटिंग
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पीएम शाहिद के अब्बासी ने टॉप सिविलियन और मिलिट्री की बॉडी नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) की मंगलवार को मीटिंग बुलाई है. इस हाई लेविल मीटिंग में सुरक्षा और बॉर्डर के इश्यू को लेकर चर्चा की जाएगी. जियो टीवी ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) इन मुद्दों के अलावा इस मीटिंग में संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों (एफएटीए) सुधारों, क्षेत्रीय स्थिति और देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं से संबंधित मामलों के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाएगी. बता दें कि हाल ही में एनएससी की तीसरे मीटिंग है. इससे पहले आईएसआई के पूर्व प्रमुख की किताब और पूर्व पीएम नवाज शरीफ के मुंबई में आतंकी हमले को लेकर दिए बयान को लेकर ये उच्चस्तरीय मीटिंग बुलाई जा चुकी है.
एक दिन पहले ISI के पूर्व चीफ की किताब पर हुई मीटिंग
एनएससी ने एक दिन पहले सोमवार को ‘स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई और द इल्यूशन ऑफ पीस’ पुस्तक के मुद्दे पर चर्चा की है. इस किताब को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) असद दुर्रानी ने भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ एएस दुलत के साथ लिखी है.
कोर्ट करेगा दुर्रानी की किताब के मामले की जांच
आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) दुर्रानी ने सोमवार को देश की एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) पर रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय (जीएचक्यू) में पाकिस्तानी आर्मी के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात की. ताकि पुस्तक में पूर्व रॉ प्रमुख के साथ सह-लेखन पर स्पष्टीकरण दिया जा सके. ईसीएल में उनकी नियुक्ति के कुछ घंटे बाद ही इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) की ओर से कहा गया कि जासूसी एजेंसी के पूर्व प्रमुख की किताब ‘स्पाई क्रॉनिकल्स’ किताब में उनके विचारों और उनकी भूमिका की जांच के कोर्ट करेगा.
स्पाई क्रॉनिकल्स के दावों से सरकार की मुश्किल
दुर्रानी और दुलट ने ‘स्पाई क्रॉनिकल्स: रॉ, आईएसआई और द इल्यूशन ऑफ पीस’ नामक पुस्तक लिखी, जिसे हाल ही में प्रकाशित किया गया है. लेफ्टिनेंट जनरल दुर्रानी ने पुस्तक में कुछ अवलोकन किए हैं. इनमें दावा किया गया कि तत्कालीन प्रधान मंत्री यूसुफ रजा गिलानी को एबोटाबाद में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिकी नौसेना के जवानों के ऑपरेशन की जानकारी थी और इस संबंध में अमेरिका और पाकिस्तानी सरकारों के बीच एक विशेष सौदा हुआ था.
अचार संहिता का हवाला
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दुर्रानी को आचार संहिता के संदर्भ में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया था, जो कि किसी भी सेवा या सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा समझौता करने वाली टिप्पणी करने से रोकता है.
जासूसी के इतिहास में पहली बार हुआ ये
जासूसी के इतिहास में किन्हीं दो प्रतिद्वंद्वी खुफिया एजेंसियों के दो पूर्व प्रमुखों द्वारा ये पहला प्रयास है. हालाकि, किताब प्रकाशित होने से पहले भी सरकार और प्रशासन को इस बारेे में जानकारी थी. इससे पहले, लेफ्टिनेंट जनरल दुर्रानी ने खुद का बचाव किया था कि साहित्यिक सहयोग केवल दो लोगों का मामला था, जिसमें भारत-पाक मामलों में अपने संबंधित दृष्टिकोणों पर चर्चा करने के लिए हाथ मिलाते थे.