मध्य प्रदेश : धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को मिली कैबिनेट की मंजूरी
मध्य प्रदेश में लव जिहाद विरोधी विधेयक ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020’ को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष के परिजन शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.
अगर किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक कि सजा दी जाएगी. अगर कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हमने अपने प्रदेश में देश का सबसे कठोर कानून बनाया है. अब इस विधेयक को विधानसभा में लाया जाएगा. 28 दिसंबर से मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है.
यूपी से इस कानून की तुलना पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हम किसी से इसकी तुलना नहीं कर रहे हैं लेकिन ये देश का सबसे कड़ा कानून है. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस तरह की शादी टूटने के बाद संतान को भी संपत्ति का हक मिलेगा. मां भी गुजारा भत्ते की हकदार होगी.
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 में जुर्माने की रकम 50 हजार रखे जाने से जुड़े सवाल पर कहा कि जुर्माने की रकम इतनी अधिक इसलिए रखी गई है कि डर पैदा हो.
नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अगर कोई पंडित या मौलवी किसी मामले में जबरदस्ती शादी करवाने का आरोपी पाया जाता है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी. मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि लव जिहाद को रोकने के लिए यह सबसे सख्त कानून बनाया गया है.
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने नवंबर महीने में ही लव जिहाद पर अध्यादेश पास कर दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा होगी. इसके अलावा धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले सूचना देनी होगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐलान किया था कि हम लव जिहाद पर नया कानून बनाएंगे. ताकि लालच, दबाव, धमकी या झांसा देकर शादी की घटनाओं को रोका जा सके.
यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. अगर SC-ST समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी.
उन्होंने कहा कि यूपी कैबिनेट उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लेकर आई है, जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है.
उन्होंने कहा कि बीते दिनों में 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें जबरन धर्म परिवर्तित किया जा रहा है. इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है.