सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से कष्ट होते है दूर
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है. इस दिन भगवान शिव की भक्ति करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. माना जाता है कि अगर सोमवार को भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे कष्ट दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है.
साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं. शिव सदा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव को खुश करने के लिए सोमवार को सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए.
इस दिन भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल चढ़ाना चाहिए. साथ ही इस दिन शिवजी पर खास तौर से चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल चढ़ाने चाहिए. ये सभी चीजें भगवान शिव की प्रिय हैं. इन्हें चढ़ाने पर भोलेनाथ खुश होकर अपनी कृपा बरसाते हैं.
सोमवार के दिन भगवान शिव को घी, शक्कर और गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए. इसके बाद धूप, दीप से आरती करनी चाहिए. इसके बाद प्रसाद को गुरुजनों, बुजुर्गों और परिवार, मित्र सहित ग्रहण करें.
मान्यता है कि सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा हमेशा बनी रहती है. इसके अलावा भगवान के अन्य मंत्रों का भी स्मरण करने से भगवान की कृपा बरसती है.
भगवान शिव की पूजा में बहुत सी ऐसी चीजें अर्पित की जाती हैं, जो अन्य किसी देवता को नहीं चढ़ाई जातीं, जैसे- आक, बिल्वपत्र, भांग आदि. इसी तरह माना जाता है कि भोले की पूजा में कई ऐसी चीजें होती हैं, जो आपकी पूजा का फल देने की बजाय आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं.
-भगवान शिव की पूजा में हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है. हल्दी का इस्तेमाल मुख्य रूप से सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी वजह से महादेव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.
-शिव को कनेर और कमल के अलावा लाल रंग के फूल प्रिय नहीं हैं, शिव को केतकी और केवड़े के फूल चढ़ाने का निषेध किया गया है.
-शास्त्रों के अनुसार शिव जी को कुमकुम और रोली नहीं लगाई जाती है।
-शंख भगवान विष्णु को बहुत ही प्रिय हैं, लेकिन शिव जी ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था इसलिए शंख भगवान शिव की पूजा में वर्जित माना गया है.
-नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक नहीं करना चाहिए. मान्यता के अनुसार नारियल को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए सभी शुभ कार्य में नारियल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण किया जाता है लेकिन कहा जाता है कि शिव पर अर्पित होने के बाद नारियल पानी ग्रहण योग्य नहीं रह जाता है.
-तुलसी का पत्ता भी भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए. इस संदर्भ में असुर राज जलंधर की कथा है जिसकी पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी. भगवान शिव ने जलंधर का वध किया था इसलिए वृंदा ने भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करने की बात कही थी