उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सीनियर आईएएस अफसरों को दिया एक बेहतरीन टूर पैकेज जाने यहाँ। ..
नए साल की शुरुआत पर योगी सरकार ने सीनियर आईएएस अफसरों को एक बेहतरीन टूर पैकेज दिया है. इसके तहत उन्हें दो रात और तीन दिन गांव में बिताने हैं.
इस दौरान वे किसानों की समस्याओं को न सिर्फ जानेंगे बल्कि मौके पर ही उनका ज्यादा से ज्यादा समाधान भी निकालेंगे. जबकि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 75 सीनियर आईएएस अफसरों ने तीन दिनों के लिए डेरा डाल दिया है.
योगी सरकार ने सभी 75 अफसरों को जिले में तीन दिन रविवार, सोमवार और मंगलवार को रहकर वहां के हालात का जायजा लेने को कहा है. इस दौरे के दो दिन रविवार और सोमवार बीत गये.
सभी अफसर रात में अपने आवंटित जिले में ही रूकेंगे और फिर मंगलवार को और मुआयना करने के बाद ही लखनऊ वापस लौटेंगे. इस दौरे में दो रात और तीन दिन अफसरों को अपने आवंटित जिले में ही बिताने हैं.
योगी सरकार ने ग्रामीण स्तर पर सरकारी योजनाओं की स्थिति को समझने के लिए 75 वरिष्ठ अफसरों को लगाया है. ये सभी अफसर मुख्य रूप से चार-पांच कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं.
पहला- जिले की गौशालाओं का हाल देखना, दूसरा- धान, मूंगफली और गन्ना क्रय केन्द्रों की स्थिति जानना, तीसरा- कोरोना वैक्सीन से पहले की तैयारी देखना, चौथा- विरासत की जमीनों के विवाद की सुनवाई और पांचवां-जिले के अफसरों से योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट लेना. कुल मिलाकर जिले की पूरी व्यवस्था की समीक्षा करनी है.
इस बीच मऊ के दौरे पर गये प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने सोमवार को दिनभर फील्ड में बिताया. उन्होंने बताया कि पीसीएफ जिन केन्द्रों पर धान की खरीद कर रहा है वहां किसानों की सहूलियत के लिए सभी संसाधन मौजूद नहीं मिले.
दूसरी ओर खाद्य रसद विभाग जिन केन्द्रों पर खरीद कर रहा है वहां हालात बेहतर मिले. इसी तरह तीन गौ शालाओं के निरीक्षण में दो की स्थिति तो अच्छी मिली लेकिन एक में हालात अच्छे नहीं थे. ऐसे सभी अफसरों को व्यवस्था तत्काल सुधारने के निर्देश दिये गये हैं.
एसीएस मोनिका गर्ग अमेठी, प्रमुख सचिव अनीता सिंह बहराइच, एसीएस आराधना शुक्ला फर्रूखाबाद और खाद्य आयुक्त मनीष चौहान अमरोहा के नोडल अफसर बनाये गये हैं.
बता दें कि जिले से लौटने के बाद सभी अफसर नियोजन विभाग को अपनी रिपोर्ट देंगे. इस रिपोर्ट को सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने रखा जायेगा. उसके बाद सीएम को जिस जिले में कमी लगेगी वहां के अफसरों के साथ मीटिंग बुलायी जायेगी.
जबकि धीरे धीरे चुनावी मोड में यूपी की आबोहवा आती जा रही है. अगले साल मार्च तक पंचायत के चुनाव होने हैं और कुछ ही महीनों बाद विधानसभा 2022 का भी बिगुल बज जायेगा.
जाहिर है इससे पहले सरकार ये जान लेना चाहती है कि उसके किये विकास कार्यों में कहीं कोई कमी रह गयी हो तो उसे समय रहते दूर कर लिया जाये.