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नवग्रहों में बृहस्पति का होता है विशेष महत्व जाने

नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है. पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र और संस्कारों को नियंत्रित करता है. ये शरीर में पाचन तंत्र, मेदा और आयु की अवधि को निर्धारित करता है.

पांच तत्वों में आकाश तत्त्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है. महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है.

बृहस्पति के कमजोर होने से व्यक्ति के संस्कार कमजोर होते हैं. विद्या और धन प्राप्ति में बाधा के साथ साथ व्यक्ति को बड़ों का सहयोग पाने में मुश्किलें आती हैं. पाचन तंत्र कमजोर करने समेत बृहस्पति और भी कई गंभीर समस्याएं देता है.

अशुभ बृहस्पति में संतान पक्ष की समस्याए भी परेशान करती हैं. व्यक्ति सामान्यतः निम्न कर्म की ओर झुकाव रखता है और बड़ों का सम्मान नहीं करता है.

कुंडली में बृहस्पति के शुभ हो तो व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है,अपार मान सम्मान पाता है. व्यक्ति के ऊपर दैवीय कृपा होती है और व्यक्ति जीवन में तमाम समस्याओं से बच जाता है.

ऐसे लोग आम तौर पर धर्म , कानून या कोष (बैंक) के कार्यों में देखे जाते हैं. अगर बृहस्पति केंद्र में हो और पाप प्रभावों से मुक्त हो तो व्यक्ति की सारी समस्याएं गायब हो जाती हैं.

नित्य प्रातः हल्दी मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें. शिव जी की यथाशक्ति उपासना करें. महीने में एक दिन शिव जी का पंचामृत अभिषेक करें. बरगद के वृक्ष में नियमित रूप से जल अर्पित करें. बड़े बुजुर्गों का खूब सम्मान करें. हर बृहस्पतिवार को किसी धर्मस्थान पर जरूर जाएं. इससे कुंडली का बृहस्पति मजबूत होगा.

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