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क्या लखनऊ में पिंक टॉयलेट का निर्माण आया संकट में जाने पूरा मामला ?

किसी तरह पटरी पर चढ़ पाई सेफ सिटी परियोजना रफ्तार नहीं भर पा रही है। केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा महिला सुरक्षा को लेकर बनाई गई इस परियोजना में अफसरों की अरुचि साफ दिख रही है।

महकमों के अफसर खुद की जिम्मेदारी से बचकर एक-दूसरे के पाले में गेंद फेंक रहे हैं। एक पिंक टॉयलेट का निर्माण संकट में पड़ गया है। जमीन नहीं मिल पा रही है तो जहां जमीन मिली, वहां विवाद हो रहा है।

कठौता झील के पास पुलिस ने ही पिंक टॉयलेट का निर्माण रोक दिया, जबकि इस परियोजना को जमीन पर लाने का जिम्मा पुलिस महकमे को ही दिया गया है।

निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए सेफ सिटी परियोजना बनाई गई थी। इसमें कॉमन टॉयलेट की जगह पिंक टॉयलेट बनाए जाने हैं, जिनका उपयोग सिर्फ महिलाएं ही कर सकेंगी।

इनका संचालन भी महिलाओं के ही हाथ में होगा। नगर निगम सीमा में कुल 74 पिंक टॉयलेट बनाए जाने हैं और इन्हें 25 मार्च 2021 तक पूरा किया जाना है। अभी तक इनमें से 23 पिंक टॉयलेट का निर्माण ही चालू हो पाया है। इनमें भी जमीन का विवाद खड़ा हो गया है।

लखनऊ विकास प्राधिकरण के क्षेत्र वाले इलाके में भी जमीन नहीं मिल पा रही है। नगर निगम की तरफ से अगस्त 2020 से लविप्रा को पत्र लिखा जा रहा है

लेकिन प्राधिकरण के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। ऐसे में प्राधिकरण क्षेत्र में पिंक टॉयलेट बनना संभव नहीं हो पा रहा है और इनका निर्माण कराने में ढाई माह ही शेष बचे हैं।

अर्जुनगंज के अहमामऊ में शहीद पथ से उतरने वाली सर्विस लेन और स्टेडियम के बीच खाली पड़ी जमीन पर पिंक टॉयलेट का निर्माण करने को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र न मिलने से काम चालू नहीं हो पाया है।

अब जमीन नहीं मिल रही है तो नगर निगम ने महानगर क्षेत्र में पहले से ही महिला पुरुष शौचालय से सटाकर पिंक टॉयलेट बनाने का विरोध हो रहा है।

शाम को कोई महिला व युवती घर से बाहर हो तो उसे अंधेरी सड़क से रास्ता पार न करना पड़े, इसके लिए राजधानी में ही शाम बाद सड़कों को रोशन करने की योजना धरातल पर नहीं आ पाई है। सेफ सिटी परियोजना के तहत डार्क स्पॉट में रोड लाइट नहीं लग पाईं।

कुल 2022 जगहों को चिह्नित किया गया था, जहां शाम बाद महिलाओं और युवतियों का आना-जाना रहता है। रोड लाइट लगाने की पत्रावली कुछ समय तक नगर निगम में ही लंबित रही तो अब ठेकेदार मनमानी कर रहा है। ठेका पाने के बाद भी काम चालू नहीं हो पाया है।

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