ठंड के मौसम में बथुए के साग के है ये बड़े फायदे। ….
ठंड के मौसम में बथुए का साग अधिक से अधिक सेवन करने से कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं से दूर रहा जा सकता है. बथुए का सेवन कम से कम मसाले डालकर करें.
नमक न मिलाएं तो अच्छा है, यदि स्वाद के लिए मिलाना पड़े तो सेंधा नमक मिलाएं और देसी घी से छौंक लगाएं. बथुए का उबाला हुआ पानी अच्छा लगता है तथा इसका दही में बनाया हुआ रायता स्वादिष्ट होता है. सर्दियों में किसी भी तरह से बथुआ का सेवन जरूर करें.
-बथुआ आमाशय को ताकत देता है और कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाता है. बथुए की सब्जी पेट के लिए अच्छी होती है, कब्ज वालों को बथुए का साग जरूर खाना चाहिए. बथुआ खाने से शरीर में ताकत आती है और स्फूर्ति बनी रहती है.
-सर्दियों में बथुए का साग जरूर खाएं. इससे पेट की समस्या से छुटकारा मिलता है. बथुए का रस पीने से भी पेट के हर प्रकार के रोग, यकृत, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, अर्श पथरी ठीक हो जाते हैं.
-पथरी हो तो एक गिलास कच्चे बथुए के रस में शक्कर मिलाकर पीने से आराम मिलता है. वहीं बथुए को उबालकर इसके पानी से सिर धोने से बालों की ग्रोथ अच्छी होती है और स्कैल्प पर किसी प्रकार का इंफेक्शन नहीं होता.
-पीरियड्स अगर रुक रुक कर होते हैं तो दो चम्मच बथुए के बीज एक गिलास पानी में उबालें. आधा रहने पर छानकर पी जाएं. इससे पीरियड्स नियमित रूप से होंगे. बथुए का साग खाने से आंखों में सूजन भी दूर होती है.
-आधा किलो बथुआ, तीन गिलास पानी, दोनों को उबालें और फिर पानी छान लें. बथुए को निचोड़कर पानी निकालकर छाने हुए पानी में मिला लें. स्वाद के लिए नींबू, जीरा, जरा सी काली मिर्च और सेंधा नमक लें और इस पानी को पी जाएं. इसे पीने से यूरिन संबंधी समस्या दूर होती है.
-पेट की गैस और अपच की समस्या को दूर करने के लिए भी बथुए का साग खाया जाता है. इसे खाने से पेट हल्का लगता है. बथुए के उबले हुए पत्ते भी दही में मिलाकर खाए जा सकते हैं.
-कच्चे बथुए का रस नमक मिलाकर पीने से पेट की कृमि की समस्या में निजात मिलता है. बथुए के बीज एक चम्मच पिसे हुए शहद में मिलाकर चाटने से भी कृमि मर जाते हैं और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है.
-सफेद दाग, दाद, खुजली, फोड़े जैसे चर्म रोगों में नियमित रूप से बथुआ उबालकर, निचोड़कर इसका रस पिएं तथा सब्जी खाएं. बथुए के उबले हुए पानी से स्किन पर हुए इंफेक्शन को धोया भी जा सकता है.
बथुए के कच्चे पत्ते पीसकर निचोड़कर उसका रस निकाल लें. अब दो कप रस में आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमा आंच पर गर्म करें. जब रस जलकर पानी ही रह जाए तो छानकर शीशी में भर लें तथा स्किन पर हुए किसी भी प्रकार के इंफेक्शन पर लगाएं. लंबे समय तक लगाते रहें, लाभ होगा.