सूर्य पोंगल सूर्य भगवान को समर्पित आइए जानते हैं सूर्य पोंगल की क्या है कथा। ….
आज पोंगल का दूसरा दिन है. इसे सूर्य पोंगल कहा जाता है. सूर्य पोंगल सूर्य भगवान को समर्पित माना जाता है. आज भक्त सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. आज के दिन पोंगल नामक एक स्पेशल खीर बनाई जाती है जो कि नए धान से तैयार चावल, मूंगदाल और गुड से बनती है.
इस खीर को खासतौर पर मिट्टी के बर्तन में पकाया जाता है. पोंगल खीर तैयार होने के बाद सूर्य देव को अर्पित की जाती है. इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रूप में भक्तों को बांट दिया जाता है.
पोंगल में भक्तों को खीर ही नहीं बल्कि गन्ना भी अर्पित किया जाता है. साथ ही सूर्य देवता को फसलों के लिए धन्यवाद कहा जाता है. आइए जानते हैं सूर्य पोंगल की कथा…
तमिल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मदुरै के पति-पत्नी कण्णगी और कोवलन से जुड़ी है.एक बार कण्णगी के कहने पर कोवलन पायल बेचने के लिए सुनार के पास गया. सुनार ने राजा को बताया कि जो पायल कोवलन बेचने आया है वह रानी के चोरी गए पायल से मिलते जुलते हैं.
राजा ने इस अपराध के लिए बिना किसी जांच के कोवलन को फांसी की सजा दे दी. इससे क्रोधित होकर कण्णगी ने शिव जी की भारी तपस्या की और उनसे राजा के साथ-साथ उसके राज्य को नष्ट करने का वरदान मांगा.
जब राज्य की जनता को यह पता चला तो वहां की महिलाओं ने मिलकर किलिल्यार नदी के किनारे काली माता की आराधना की. अपने राजा के जीवन एवं राज्य की रक्षा के लिए कण्णगी में दया जगाने की प्रार्थना की.
माता काली ने महिलाओं के व्रत से प्रसन्न होकर कण्णगी में दया का भाव जाग्रत किया और राजा व राज्य की रक्षा की. तब से काली मंदिर में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है.इस तरह चार दिनों के पोंगल का समापन होता है.