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आइये आज जानते है दंडासन के क्या क्या होते है फायदे। ….

योग शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है. खासकर इस कोरोना काल में योग करने से कई तरह की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. योग न सिर्फ लोगों को शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है बल्कि मानसिक रूप में हेल्दी रखने में भी मदद करता है.

योग से आप अपने पेट की चर्बी को कम कर सकते हैं, अपने रीढ़ की हड्डी को मजबूत बना सकते हैं और कमर को लचीला भी बनाए रख सकते हैं. योग करने से आपका शरीर ने केवल बाहर से सुंदर दिखता है

बल्कि शरीर अंदर से भी हेल्दी रहता ऐसे में आपको कुछ खास योगासनों का अभ्यास करना चाहिए. योग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और जीवन संतुलित बना रहता है. निम्नलिखित योगासनों की मदद से स्वस्थ रहने की कोशिश करें.

दंडासन
दंडासन एक संस्कृत का शब्द है जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहला शब्द डंडा और दूसरा शब्द आसन है. दंडासन, योग मुद्रा का एक सरल आसन है. यह आत्म-जागृति की ऊर्जा के लिए मार्ग बनाता है. इसलिए दंडासन को शक्ति और अच्छे रूप को बढ़ावा देने के लिए आदर्श आसन माना जाता है.

कैसे करें दंडासन
दंडासन को करने के लिए आप सबसे पहले योगा मेट को फर्श पर बिछा के उस पर बैठ जाएं.
दोनों पैरों को अपने शरीर के आगे फैलाएं और दोनों को पास-पास रखें.
दोनों पैरों की उंगलिया आपकी ओर झुकी और खिचीं रहें.
अपनी जांघों और एड़ी को फर्श में दबाएं.
अपने दोनों हाथों को सीधे और हथेलियों को जमीन पर रखें. हाथ दोनों कूल्हों के पास में रहने चाहिए.
अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखें.
अपनी छाती को ऊपर उठाएं और अपने कॉलरबोन को फैलाने के लिए अपने कंधों को थोड़ा सा खींचें.
सामने की ओर देखें और अपनी सांस को सामान्य रखें.
आप इस दंडासन को 20 सेकंड से एक मिनट तक करते रहें.
आप इस आसन को अपनी क्षमता के अनुसार भी कर सकते हैं.

दंडासन के फायदे
कंधों में खिंचाव के लिए लाभदायक
रीढ़ की हड्डी को लचीला और मजबूत बनाता है
मांसपेशियों को मजबूत करता है
सायटिका दर्द में लाभकारी
मस्तिष्क को शांत करता है

बटरफ्लाई आसन के फायदे
जांघो, एवं घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है. मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा एवं मोनोपॉज के लक्षणों से आराम. गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी.

अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.

अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
फेफड़े मजबूत होते हैं
बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता.
वजन कम करने में मददगार
पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है
तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार
गठिया के लिए भी फायदेमंद

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