उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में अब करीब दो माह का समय शेष रह गया है। बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि तय हो चुकी है। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 14 मई को अक्षय तृतीया, जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई को खोले जाने हैं। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि पर्व पर 11 मार्च को तय की जाएगी। जाहिर है प्रशासन, व्यापारी और तीर्थ पुरोहित यात्रा की तैयारियों में जुट गए हैं। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा सीजन प्रभावित रहा था, अगस्त से यात्रा ने कुछ रफ्तार अवश्य पकड़ी, लेकिन ज्यादातर वक्त धामों में सन्नाटा ही पसरा रहा। अब जबकि हालात काफी हद तक सुधर चुके हैं तो उम्मीद है कि इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु चार धाम पहुंचेंगे।
तैयारियों के नजरिये से देखें तो इस बार कुदरत भी मेहरबान है। केदारनाथ धाम में हर दफा शीतकाल में छह से आठ फीट बर्फ की चादर बिछी रहती थी। इससे संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचता था, लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है। बर्फबारी कम होने के कारण धाम में महज डेढ़ से दो फीट बर्फ है। यही स्थिति बदरीनाथ धाम की भी है। यहां शीतकाल में अक्सर हिमखंडों से सड़क बाधित रहती है, लेकिन इस बार ऐसी कोई बाधा नहीं है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी स्थिति सामान्य है। जाहिर है प्रशासन के पास तैयारियों को लेकर समय तो पूरा है ही, इसके अलावा परिश्रम भी कम करना पड़ेगा।
समय का सदुपयोग करते हुए अन्य चुनौतियों से पार पाने की योजना बनानी होगी
प्रशासन को समय का सदुपयोग करते हुए अन्य चुनौतियों से पार पाने की योजना बनानी होगी। यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो चार धाम में इस बार रिकॉर्ड संख्या में यात्री पहुंच सकते हैं। ऐसे में धामों में भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था को लेकर सजग रहना होगा। यात्रा मार्गो पर अक्सर लगने वाला जाम श्रद्धालुओं की परीक्षा लेता रहा है। इसकी मुख्य वजह सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव है, साथ ही भूस्खलन प्रभावित जोन भी इसका बड़ा कारण रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि सड़कों को दुरुस्त करने के साथ ही इन जोन का उपचार किया जाए।
उम्मीद की जानी चाहिए यात्रा आरंभ होने से पहले व्यवस्था बेहतर कर ली जाएगी
आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में 139 ब्लैक स्पॉट (ऐसे क्षेत्र जहां लगातार हादसे हो रहे हैं) चिह्न्ति किए गए हैं। इनमें चार धाम मार्ग भी शामिल हैं। विडंबना है कि अब तक उपचार महज साढ़े तीन दर्जन का ही हो पाया है। इसके अलावा दुर्घटना संभावित स्थलों (डेंजर जोन) की संख्या करीब डेढ़ हजार है और इनमें से महज 107 दुरुस्त किए गए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए यात्रा आरंभ होने से पहले व्यवस्था बेहतर कर ली जाएगी।