भाजपा सांसद ने कहा, आरक्षण को समाप्त करने की साजिश कर रही केंद्र सरकार
यही वजह है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी देश में गैर बराबरी को समाप्त नहीं किया जा सका। बहुजन समाज के हितों की लड़ाई लड़ रही दलित महिला नेता और भाजपा सांसद सावित्री राव फुले ने अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए गाजीपुर में कहा कि डा. आंबेडकर के संविधान को लागू कराने को अपने जीवन का उद्देश्य बनाकर वह पूरे देश में जनजागरण कर रही है।
समाज के दलित, गरीब एवं अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई, लेकिन संविधान की मूल भावना को लागू नहीं किया गया। अगर गैर बराबरी को समाप्त कर संविधान की मूल भावना को लागू कर दिया जाए तो गरीबी देखने को भी नहीं मिलेगी।
आज दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार, उनकी बेटी-बहुओं के साथ बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। थाने में उनका मुकदमा भी दर्ज नहीं हो पाता है। इससे देश का बहुजन समाज आहत है। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त को दिल्ली में संविधान की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ मुकदमा तक दर्ज नहीं किया गया। आजादी की लड़ाई में दलित समुदाय के योगदान के बाद भी उनके साथ नाइंसाफी जारी है।
आरक्षित सीटों से सांसद बनकर जाने वाले राजनेता भी दलीय सीमाओं में कैद होने से दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज नहीं उठाते हैं। सरकारी नौकरियां समाप्त कर निजीकरण को बढ़ावा देना आरक्षण समाप्त करने की साजिश है। उन्होंने प्राइवेट नौकरियों में भी आरक्षण लागू करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जो संशोधन हुआ है वह सिर्फ वोट पाने के लिए पारित किया गया है। इसे फिर कोर्ट द्वारा समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार दलितों का भला चाहती है तो इसे संविधान की नौंवीं अनुसूची में डाल दे तब इसे कोई समाप्त नहीं कर सकेगा।