धारा 35-ए के खिलाफ याचिकाओं को नाकाम बनाने के लिए बुलाई बैठक
श्रीनगर । धारा 35-ए के संरक्षण को यकीनी बनाने और सर्वाेच्च न्यायालय में इसके खिलाफ दायर याचिकाओं को नाकाम बनाने की रणनीति तय करने के लिए नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों और नेताओं की बैठक बुलाई।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस बैठक से दूरी बनाए रखी। डॉ. फारूक अब्दुल्ला के गुपकार स्थित निवास पर बैठक हुई, जिसमें नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, नेकां महासचिव अली मोहम्मद सागर, पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राथर, विधायक मोहम्मद शफी उड़ी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ताज मोहिउद्दीन, माकपा नेता यूसुफ तारीगामी व डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के अध्यक्ष गुलाम हसन मीर ने भाग लिया।
बैठक में सभी नेताओं ने धारा 35-ए को पंचायत व निकाय चुनावों से जोड़ने के लिए केंद्र और राज्य प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर की विशिष्ट पहचान से जुड़े इस संवैधानिक प्रावधान की रक्षा के लिए सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे। फारूक ने बैठक में भाग लेने आए नेताओं को धारा 35-ए के मुद्दे पर चुनाव बहिष्कार के अपने फैसले के कारणों की जानकारी दी।
बैठक में मौजूद नेताओं ने एकमत होकर एडिशनल सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता की ओर से धारा 35-ए के मुद्दे पर सर्वाेच्च न्यायालय में व्यक्त की गई टिप्पणियों पर एतराज जताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी सीमाओं को लांघा है। उनके रवैये से धारा 35-ए पर राज्य के स्टैंड को नुकसान पहुंचा है। इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाया जाना चाहिए।
पीडीपी के प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा कि हमें बैठक के एजेंडे के बारे में नहीं बताया गया था। धारा 35-ए का मुद्दा हो या आम लोगों के हित का कोई विषय, हम सभी एक हैं। जब हम सत्ता में थे तो धारा 35-ए पर स्टैंड लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी स्पष्ट कर दिया था कि अगर राज्य के विशेष दर्जे से छेड़खानी हुई तो हम सरकार में नहीं रहेंगे। ऐसे किसी भी प्रयास का पीडीपी पुरजोर विरोध करेगी। सत्ता से बाहर होने के बाद भी हम राज्य के हितों के लिए लड़ रहे हैं।