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बिहार में कोरोना को देखते हुए 5 अप्रैल तक डॉक्टर से लेकर अधिकारी और सभी स्वास्थ्यकर्मियों की छुट्टियां की गई रद्द

भाकपा माले और अखिल भारतीय किसान महासभा के द्वारा गुरुवार को किसान- मजदूर महापंचायत का आयोजन किया गया. महापंचायत में माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार के किसानों के साथ भाजपा-जदयू ने सबसे बड़ा धोखा किया है.

2006 में ही एपीएमसी ऐक्ट को खत्म करके भाजपा-जदयू सरकार ने यहां के किसानों को बर्बाद कर दिया था. माले महासचिव ने कहा कि एमएसपी का सवाल केवल बड़े किसानों का नहीं है, बल्कि इसका खामियाजा छोटे किसानों को भुगतना होगा. यहां के किसानों को सबसे कम कीमत मिलती है. देश के हरेक हिस्से में किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग पंजाब और बिहार को एक दूसरे के विरोध में खड़ा करना चाहते हैं. लेकिन आज इस महापंचायत ने साफ संदेश दिया है कि बिहार के किसान भी आज मजबूती से खड़े हो चुके हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 26 मार्च के भारत बंद को भाकपा माले के समर्थन की भी घोषणा की. माले महासचिव ने कहा कि विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों में किसानों का ही मुद्दा प्रधान मुद्दा होगा.उन्होंने एक-एक वोट भाजपा के खिलाफ देने और उसे हराने की अपील की.

किसान महापंचायत में पंजाब से आए किसान नेता गुरनाम सिंह भक्खी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लगाए गए तमाम बंदिशों को ध्वस्त करते हुए हम 26-27 नवंबर से दिल्ली के बाॅर्डरों पर जमे हुए हैं.

हम आपसे कहने आए हैं कि तीन कृषि कानून के खिलाफ लड़ाई केवल पंजाब- हरियाणा के किसानों की नहीं है. यदि हमारी खेती व हमारी जमीन काॅरपोरेटों के हवाले हो जाएगी, तो फिर हम खायेंगे क्या? ये कानून पूरे देश में खाद्यान्न संकट पैदा करेंगे और गरीबों के मुंह से रोटी छीन जाएगी.

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