पश्चिम बंगाल और असम दोनों ही राज्यों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, बिहार और केंद्र में अपने गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने का फैसला कर लिया है। दोनों राज्यों में विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों को जदयू ने सिंबल देने आरंभ कर दिए हैं। इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल चुनाव में जदयू ने अब तक 45 तथा असम में 50 उम्मीदवारों को अपने सिंबल दे दिए हैं। इन राज्यों में जदयू बिना किसी दल के साथ समझौता के अपने दम पर मैदान में है।
पश्चिम बंगाल में रद हो गए चार उम्मीदवारों के पर्चे
पश्चिम बंगाल में जदयू के प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी नियमित रूप से वहां कैंप कर रहे हैं। आधिकारिक तौर यह बताया गया कि चौथे चरण से आखिरी चरण तक जदयू के प्रत्याशी मैदान में दिखेंगे। पहले चरण में पांच प्रत्याशियोंं को पार्टी के सिंबल जरूर दिए गए थे पर उनमें चार के नामांकन रद हो गए। नामांकन पत्र भरने में त्रुटि की वजह से यह हो गया।
बिहार और पूर्वांचल के लोगों को भी टिकट दिया
इसके बाद से पार्टी दफ्तर में प्रत्याशियों के नामांकन पत्र को तरीके से भरने का सिलसिला शुरू हुआ। दूसरे और तीसरे चरण में जदयू के लगभग आधा दर्जन उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। चौथे चरण से यह संख्या बढ़ जाएगी। जिन 45 लोगों को पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए जदयू ने अपने सिंबल दिए हैं, उनमें कई बिहार और पूर्वांचल मूल के हैं। इन 45 के अलावा कई अन्य लोगों को भी सिंबल दिया जा सकता है।
पार्टी के सांसद व बिहार के मंत्री को चुनाव प्रचार में बुलाने की तैयारी
अभी यह तय नहीं हो पाया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल व असम विधानसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जाएंगे या नहीं। पर जदयू के सांसद और बिहार के मंत्रियों की पश्चिम बंगाल व असम चुनाव में सक्रियता बढ़ेगी। नियमित रूप इन्हें चुनाव प्रचार के लिए भेजा जाएगा। फिलहाल गुलाम रसूल बलियावी और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव रवींद्र सिंह पश्चिम बंगाल में कैंप कर रहे हैैं।
असम में मंत्री श्रवण कुमार संभाल रहे मोर्चा
असम के विधानसभा चुनाव को ले जदयू ने अब तक 50 उम्मीदवारों को अपना सिंबल दिया है। बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार वहां लगातार जा रहे। जदयू ने तिनसुकिया, सिलचर, नवगांव और गुवाहाटी इलाके में अपने को केंद्रित किया हुआ है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां बिहार सहित पूर्वांचल के मतदाता निर्णय की हैसियत में है। स्थानीय स्तर पर सक्रिय नेताओं को पार्टी ने अपना सिंबल दिया है।