नई दिल्ली: देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए नासूर बन चुके नक्सलियों के खिलाफ सरकार बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। वहीं नक्सलियों ने एकबार फिर दुस्साहस की कोशिश की है। 3 अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुए मुठभेड़ के दौरान अगवा किए गए जवान को नक्सली बिना शर्त छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। इस सिलसिले में नक्सलियों ने एक प्रेस नोट जारी किया है। नक्सलियों ने चिट्ठी लिखकर अपनी शर्त सरकार के सामने रखी है। नक्सलियों का कहना है कि कमांडो राकेश सिंह उनके पास है। उनका कहना है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम का एलान करे। इसके बाद वो सीआरपीएफ के कमांडो राकेश्वर सिंह को छोड़ेंगे। ये प्रेस नोट नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी किया है।
नक्सलियों ने अपनी चिट्ठी में लिखा है मुठभेड़ के दौरान उनके पास लूटे हुए 14 हथियारों और 2 हजार से ज्यादा कारतूस भी है। साथ ही नक्सलियों ने माना है कि मुठभेड़ में उनके चार साथी मारे गए। इससे पहले मंगलवार को सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि था कि इस हमले में निश्चित तौर पर 28 नक्सली मारे गए हैं और ये संख्या ज्यादा भी हो सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि लापता एक जवान का अभी कुछ पता नहीं चल पाया है। शनिवार को हुए इस बड़े हमले में 22 जवान शहीद हो गए थे।
आपको बता दें कि इससे पहले साल 2006 के आईएएस अधिकारी एलेक्स पॉल मेनन को नक्सलियों बंधक बनाने का उदाहरण दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में साल 2012 में नक्सलियों ने उनका अपहरण किया था और 12 दिन बाद उन्हें छोड़ दिया था। एक बार फिर नक्सलियों ने कुछ ऐसा ही दोहराया है।
दरअसल सुरक्षा एजेंसियों को 60-70 नक्सलियों के सिरगेर और 40-50 नक्सलियों के बोडुगुड़ा पहुंचने की खुफिया जानकारी मिली थी। इस जानकारी के आधार पर 2 अप्रैल को रात 10 बजे 6 में से 3 टीमों को ऑपरेशन के लिए भेजा गया। इस टीम में DRG, कोबरा और STF के लोग थे। इन्हें अलीपुदा और जोनागुड़ा जाना था। इसके बाद ऑपरेशन को अंजाम देकर इन्हें अगले दिन यानी 3 अप्रैल को लौटना था। ये टीम काफी अंदर तक गई। इसके बाद नक्सलियों ने इन्हें चारों ओर से घेर लिया और उनपर हमला कर दिया। नक्सलियों ने हमले में सुरक्षाबलों पर मशीन, एलएमजी के साथ-साथ आईईडी तक का इस्तेमाल किया।