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संक्रमण की दूसरी लहर की चपेट में सर्विस सेक्टर, आंशिक लॉकडाउन और नाईट कर्फ्यू से होटल, पर्यटन व रिटेल सेक्टर पर प्रभाव

नई दिल्ली, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण देश के कई हिस्सों में लगाए जा रहे आंशिक व सप्ताहांत लॉकडाउन एवं रात्रि कर्फ्यू से सेवा क्षेत्र से जुड़े पर्यटन, होटल, रेस्त्रां व रिटेल सेक्टर के कारोबार में 20 फीसद तक की गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। आंशिक लॉकडाउन व रात्रि कर्फ्यू से श्रमिकों की आवाजाही भी प्रभावित होगी, जिससे औद्योगिक उत्पादन पर असर पड़ेगा।

महाराष्ट्र, दिल्ली, छत्तीसगढ़, पंजाब, बिहार जैसे कई राज्यों में सप्ताहांत या आंशिक लॉकडाउन के साथ रात्रि कर्फ्यू की घोषणा हो चुकी है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इस प्रकार के लॉकडाउन के कारण हवाई यात्रा में भी गिरावट की आशंका जाहिर की है

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक कोरोना की पहली लहर के बाद 20 फीसद होटल अब तक नहीं खुल पाए हैं। अधिकतर होटल कोरोना पूर्व काल के मुकाबले 50 फीसद क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और अब महाराष्ट्र में लॉकडाउन जैसी स्थिति व अन्य राज्यों में रात्रि कर्फ्यू से उनका कारोबार और कम हो जाएगा। शादी-समारोह को सीमित कर दिया गया है और देर रात तक भीड़ की इजाजत नहीं होने से लोग पार्टी करने से परहेज करने लगे हैं।

रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन कहते हैं, ‘महाराष्ट्र में जिस प्रकार के लॉकडाउन की घोषणा की गई है उससे वहां के रिटेल कारोबार में 40 फीसद तक तो सप्ताहांत के लॉकडाउन व रात्रि कर्फ्यू से रिटेल कारोबार में 15 से 20 फीसद तक की गिरावट आएगी।

उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण लॉकडाउन व कर्फ्यू जैसे फैसलों की वजह से अप्रैल में 35,000 करोड़ रुपये के रिटेल कारोबार के नुकसान की आशंका है। वी-मार्ट के सीएमडी ललित अग्रवाल कहते हैं कि उनकी बिक्री पर कम से कम 20 फीसद तक का असर हो सकता है। रात्रि कर्फ्यू और आंशिक लॉकडाउन ग्राहक को खरीदारी के लिए हतोत्साहित करते हैं।

आंशिक लॉकडाउन के साथ-साथ पर्यटन के लिए कई राज्यों में कोरोना जांच को अनिवार्य किए जाने की वजह से पर्यटन पर भी दुष्प्रभाव दिखने लगा है। टिहरी स्थित गंगा-भागीरथी बोट संचालन समिति के अध्यक्ष लखबीर सिंह चौहान ने बताया कि फरवरी में बोटिंग के लिए रोजाना 1500 पर्यटक आ रहे थे, जो अब घटकर बामुश्किल 15-20 रह गए हैं।

औद्योगिक संगठनों के मुताबिक, कोरोना की दूसरी लहर की वजह से जो हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए श्रमिकों की आवाजाही पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा होने पर उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। कोरोना की पहली लहर में अपने गांव-घर गए श्रमिकों की वापसी से औद्योगिक उत्पादन पटरी पर लौटना शुरू ही हुआ था कि गुजरात व महाराष्ट्र में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए फिर पलायन की स्थिति बनने लगी है। बड़ी संख्या में श्रमिक एक बार फिर अपने मूल राज्य लौटने लगे हैं। ऐसे में फिर श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उद्योगों के सामने मुश्किल स्थिति बनेगी।

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