स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर राज्य की राजधानी की हालत वाकई नाजुक हो चुकी है। हालत यह है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के कोरोना पीड़ित भांजे को सारे दिन किसी भी अस्पताल में आईसीयू बेड नहीं मिल पाया। शनिवार को सुबह से शाम तक मंत्री खुद तमाम अस्पतालों में बेड के लिए फोन करते रहे। लेकिन बेड की व्यवस्था नहीं हुई। हालांकि शाम को बामुश्किल एक निजी अस्पताल में आईसीयू मिल सका। डा. हरक रावत के कोटद्वार में रहने वाले कोरोना पीड़ित भांजे का शुक्रवार रात को ऑक्सीजन लेबल कम होने लगा। इस पर उन्हें दून में मंत्री के डिफेंस कॉलोनी आवास पर आइसोलेशन में रखा गया।
लेकिन उनकी हालत खराब होने पर उन्हें आईसीयू में भर्ती करवाने को कहा गया। दून से लेकर एम्स ऋषिकेश सहित किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में आईसीयू नहीं मिला। इस पर वन मंत्री ने स्वयं सभी अस्पतालों के प्रबंधकों व कुछ के मालिकों से फोन पर बात की। वे शाम चार बजे तक इसी काम में लगे रहे। पर कहीं भी आईसीयू की व्यवस्था नहीं हो पाई। शाम को उनके भांजे को एक निजी अस्पताल में आईसीयू मिल पाया। ऐसे में आम जनता की हालत अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेरे भांजे को आईसीयू की जरूरत थी। मैंने खुद दून अस्पताल, एम्स ऋषिकेश सहित राजधानी के सभी बड़े निजी अस्पतालों में फोन किया। एक आईसीयू बेड नहीं मिल पाया। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही से यह हाल हो रहा है। अफसर सरकार के सामने बातें ज्यादा और काम कम कर रहे हैं। अफसरों के इस रवैये से सरकार की छवि तो खराब होगी ही, साथ ही महामारी में सरकार व जनता की मुसीबतें भी बढ़ेंगी।
डा. हरक सिंह रावत, वन मंत्री