पटना, कोरोना से मरने वालों की बढ़ती संख्या के बाद गुलबी घाट पर शवदाह गृह की स्थिति खराब होती जा रही है। एक चिता ठंडी होने से पहले ही तीन शव कतार में रखे होते हैं। कोरोना संक्रमण के भय से मृतक के स्वजन शरीर को छूने से डर रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए गुलबी घाट पर एंबुलेंस से आए शव को विद्युत शवदाह गृह ले जाने के लिए दलाली का खेल जारी है।
मजबूरन बड़ी रकम देनी पड़ रही
गुरुवार को तहकीकात में गुलबी घाट पर एंबुलेस से आए शवों को अंतिम संस्कार के लिए विद्युत शवदाह तथा लकड़ी से जलाने वाले घाट तक शव पहुंचाने का घिनौना खेल सामने आया। घाट पर खड़े दलालों का एक समूह एंबुलेंस के आते ही सक्रिय दिखा। समूह के सदस्य अंतिम संस्कार के लिए महज 50 से 70 कदम की दूरी तक पहुंचाने के लिए पांच से दस हजार रुपये की मांग करता दिखा। शव के साथ पहुंचे स्वजनों ने जब बड़ी रकम मांगने का कारण जानना चाहा तो बोले कि हम जान हथेली पर लेकर कोरोना संक्रमितों को अंतिम संस्कार के लिए पहुंचा रहे हैं। कोरोना संक्रमित शव होने से स्वजन भी बड़ी मांग को सुनकर ठगा महसूस कर रहे थे। इधर दलालों की दबंगई के आगे अंतिम संस्कार करने वालों को मजबूरन बड़ी रकम देनी पड़ रही थी।
मुफ्त में लकड़ी दी, पर नहीं मिला भुगतान
लकड़ी से अंतिम संस्कार करने वालों ने गुरुवार को बताया कि उन्हें पांच से ग्यारह हजार रुपये देने पड़ रहे हैं। सरकार द्वारा अंतिम संस्कार मुफ्त में करने की घोषणा की गई थी। लकड़ी पर शव जलाने वाले विनोद कुमार ने बताया कि घोषणा के बाद निगम के अधिकारी के आदेश पर 17 शवों के लिए उसने लकड़ी मुहैया कराया। आजतक उसे लकड़ी का भुगतान नहीं मिला।
79 शव में 28 कोरोना संक्रमित के जले
गुरुवार को गुलबी घाट पर कुल 79 शव का अंतिम संस्कार किया गया। निगमकर्मी योगेंन्द्र ने बताया कि विद्युत शवदाह गृह में 11 शव का अंतिम संस्कार मुफ्त में किया गया। वहीं लकड़ी पर 17 कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार किया गया।