आइए जानते हैं कब है सोम प्रदोष व्रत साथ ही जानते है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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सोम प्रदोष व्रत 24 मई, सोमवार के दिन पड़ रहा है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बताई गई है. प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण सोम प्रदोष व्रत का महत्व काफी बढ़ गया है.
प्रदोष व्रत का दिन के अनुसार, अलग-अलग महत्व माना गया है. सोम प्रदोष व्रत के दिन भक्त भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश भगवान और कार्तिकेय जी की पूजा अर्चना करेंगे. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रदेव ने सबसे पहले भगवान शिव की कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा था.
दरअसल, किसी पाप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था. इसी रोग से मुक्ति के लिए उन्होंने प्रदोष व्रत रखा था. सोम प्रदोष व्रत के दिन पूरे दिन निराहार रहकर व्रत और पूजा-पाठ करें शाम के समय पूजा के बाद फल और दूध ले सकते हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा अगर प्रदोष काल यानी कि गोधूली बेला (शाम के समय) की जाए तो अधिक फलदायी होती है. सोम प्रदोष व्रत इस बार रवि योग में पड़ रहा है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट से
त्रयोदशी तिथि का समापन – 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनट
पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक.
प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए. इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए. इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए.
पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए. इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए. व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए.