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चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को समस्याओं से घबराना नहीं बल्कि चुनौती मान कर स्वीकार कर चाहिए

चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि इस धरती पर कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है जिसके जीवन में परेशानी और समस्याएं नहीं आती हैं. हर व्यक्ति के जीवन में दिक्कत और परेशानी आती हैं, लेकिन जो लोग इस स्थिति में भी धैर्य नहीं खोते हैं और लगातार संघर्ष करते हैं, वे अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करते हैं.

समस्याओं का जो व्यक्ति डटकर मुकाबला करते हैं और अंतिम समय तक समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं, ऐसे ही लोग इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराते हैं. सफलता में परिश्रम, संषर्घ और धैर्य की विशेष भूमिका होती है. व्यक्ति को इन गुणों को अवश्य अपनाना चाहिए.

गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य नहीं खोते हैं और लगातार स्थिति को बेहतर बनाने के लिए संषर्घ करते हैं, उन्हें सफलता मिलती ही मिलती है.

विद्वानों की मानें तो समस्या या संकट आने पर घबराना नहीं चाहिए. इन्हें चुनौती की तरह लेना चाहिए. समस्या आने पर भयभीत नहीं होना चाहिए. इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

विद्वानों की मानें तो समस्या आने पर उनसे भागे नहीं, न ही भयभीत हों. रणनीति बनाकर समस्याओं का मुकाबला करना चाहिए. व्यक्ति के प्रतिभा और क्षमता का पता तभी लगता है जब समस्याएं आती हैं. इसलिए जीवन में आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए संषर्घ करना चाहिए.

विद्वानों का कहना है कि व्यक्ति वही सफलता प्राप्त करता है, जो सकारात्मक विचारों को अपनाता है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए सकारात्मकता बहुत ही अवश्यक है. इसलिए हमेशा सकारात्मक रहने की कोशिश करनी चाहिए.

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