वट सावित्री अमावस्या व्रत जाने जब है और क्या है शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि सबसे अधिक शुभ व फलदायी मानी गई है जिसे ज्येष्ठ अमावस्या भी कहते हैं. इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत जैसे पावन पर्व मनाए जाने का विधान हैं.
धार्मिक मान्यता अनुसार, जो भी व्यक्ति ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सच्ची भावना से स्नान-ध्यान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करता है, उसे समस्त देवी-देवता का आशीर्वाद निश्चित ही प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन पितरों व पूर्वजों की शांति और इष्ट देवी-देवताओं की कृपा पाने के लिए, किए जाने वाले हर प्रकार के कर्मकांड भी फलीभूत होते हैं.
ये पावन तिथि बुधवार 9 जून दोपहर 2 बजे से आरंभ होगी, जिसकी समाप्ति अगले दिन 10 जून गुरुवार दोपहर 04 बजकर 24 मिनट पर होगी. ऐसे में इस साल अमावस्या तिथि 10 जून को मनाई जाएगी. इसलिए इस तिथि के दौरान ही शनि देव की पूजा और वट सावित्री व्रत करना भी बेहद शुभ रहेगा.
ज्येष्ठ अमावस्या/ वट सावित्री व्रत मुहूर्तअमावस्या तिथि प्रारम्भ- दोपहर 14:00:25 बजे (09 जून 2021)
अमावस्या तिथि समाप्त- शाम 16:24:10 बजे (10 जून 2021)
हिन्दू पंचांग की मानें तो, हर वर्ष की ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि के दिन ही शनि जयंती मनाई जाने का विधान है. कई पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यही वो तिथि थी
जब सूर्य देव और माता छाया के पुत्र शनिदेव का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन कर्मफल दाता शनि देव की विधि अनुसार पूजा-अर्चना कर, कोई भी जातक अपनी कुंडली में मौजूद हर प्रकार के शनि ग्रह से जुड़े दोष दूर कर सकता है.
वट सावित्री व्रत महिलाओं का प्रमुख पर्व होता है, जिसे कुंवारी और विवाहित दोनों ही महिलाओं द्वारा रखा जाता है. इसमें जहां कुंवारी कन्याएं इच्छानुसार वर की कामना के लिए ये व्रत करती हैं, तो वहीं शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व स्वस्थ जीवन की कामना हेतु इस व्रत को करती हैं.
हिन्दू पंचांग अनुसार, वट सावित्री व्रत प्रत्येक वर्ष के ज्येष्ठ माह की अमावस्या की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है. इस दिन महिलाएं वट यानी बरगद के वृक्ष का पूजन कर, सत्यवान और सावित्री की महाराज यमराज के साथ पूजा करती हैं.
गौरतलब है कि गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण के कई राज्यों में महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट सावित्री का व्रत रखती हैं जबकि उत्तर भारत में यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता है.