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किसानों की ऐसी दुर्गति को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार को घेरा

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि किसानों की जैसी दुर्गति बीजेपी सरकार के साढ़े चार सालों में हुई है वैसी पिछले पचास सालों में भी नहीं हुई थी.

गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाकर किसानों को धोखा देने का स्वांग रचा गया है. किसान को न फसल का दाम मिला है और नहीं मुआवजा मिला है. ऊपर से मंहगाई की मार ने उसकी कमर तोड़ दी है. सरकार श्वेत पत्र जारी करे ताकि किसानों से गेहूं खरीद की सच्चाई सामने आ सके.

एक लिखित बयान में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कागजों में गेहू खरीद की तारीख बढ़ाने की घोषणा तो हुई है, जबकि हकीकत में खरीद बंद है. सरकारी खरीद पोर्टल काम नहीं कर रहा है.

किसान का खलिहान में रखा गेहूं भीगने से खराब हो रहा है तो कुछ क्रय केन्द्रों में खुले में पड़ा गेहूं सड़ रहा है. वैसे बरसात के दिनों में तमाम क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. किसान मायूस है

अखिलेश यादव ने कहा कि रामपुर में क्रय केन्द्रों पर किसान भटक रहे, गेहूं की तौल में आनाकानी हो रही है. रानीपुर में पोर्टल बंद होने से किसानों को तमाम परेशानी उठानी पड़ी है. इटावा में क्रय केन्द्र खरीद की तारीख बढ़ी लेकिन उपकेन्द्रों पर तौल बंद रही. प्रदेश में कहीं भी किसानों को एमएसपी पर गेहूं खरीद का लाभ नहीं मिला

बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी राज में किसानों को न तो लागत का ड्योढ़ा मूल्य मिला, न ही धान 1888, और गेहूं 1935 रूपये प्रति कुंतल एमएसपी पर बिका.

किसानों को राहत नहीं. मिली उल्टे उसकी खेती में काम आने वाला डीजल मंहगा हो गया और बिजली की दरें बढ़ गईं. खाद की बोरी की कीमत तो बढ़ी परन्तु बोरी में खाद की मात्रा कम हो गई.

किसानों को आसानी से कर्ज भी नहीं मिलता है. सच तो यह है कि किसानों से गेहूं की धीमी खरीदारी सरकारी इशारे पर की गई है ताकि वह अपना गेहूं बिचैलियों को बेचने को मजबूर हो. अधिकारी गुणवत्ता के नाम पर खरीद को नज़रअंदाज कर रहे हैं. चमक और सिकुड़न के नाम पर गेहूं खरीदने से मना कर दिया गया है

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