व्यक्ति की इन आदतों के कारणों आती है संबंधों में दरार
चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को अपने आचरण को लेकर सदैव सावधान रहना चाहिए. जो व्यक्ति अपनी आदतों को लेकर सतर्क रहता है, उसे किसी भी संबंध को निभाने में दिक्कत नहीं आती है.
संबंधो में जब बाधा और परेशानी आने लगे तो व्यक्ति को सावधान हो जाना चाहिए और अपने आचरण के बारे में मंथन करना चाहिए. क्योंकि कभी कभी अंजाने में भी ऐसा बर्ताव हो जाता है
जिससे सामने वाले को बहुत दुख पहुंचाता है और संबंध टूटने की कगार पर आ जाते हैं. दांपत्य जीवन में भी यही बात लागू होती है. इसलिए अपने आचरण का विशेष ख्याल रखना चाहिए.
गीता के उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जिस व्यक्ति का आचरण श्रेष्ठ गुणों से युक्त नहीं है, उसे सम्मान प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. विद्वानों का कहना है
कि जो व्यक्ति श्रेष्ठ गुणों का त्याग कर गलत आचरण को अपनाता है, उससे लोग दूरी बना लेते हैं. ऐसे लोगों के संबंध अक्सर खराब ही स्थिति में ही रहते हैं. इसलिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
विद्वानों का मानना है कि वाणी की मधुरता, श्रेष्ठ गुणों में से एक है. वाणी में मिठास होने से अन्य लोग भी आकर्षित होते हैं ऐसे लोग जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं.
शास्त्रों में कहा गया कि स्वभाव में विनम्रता होनी चाहिए. स्वभाव में विनम्रता होने से, लोग प्रभावित होते हैं. ऐसे लोगों को हर स्थान पर सम्मान प्राप्त होता है. विनम्र व्यक्ति को लक्ष्मी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. विनम्रता मनुष्य का श्रेष्ठ गुण है. इसे अपनाने का प्रयास करना चाहिए.
गीता में क्रोध को व्यक्ति का शत्रु बताया गया है. क्रोध से दूर रहना चाहिए. क्रोध के कारण दांपत्य जीवन भी प्रभावित होता है. इसके साथ ही अन्य संबंध भी प्रभावित होते हैं. क्रोध से व्यक्ति की प्रतिभा नष्ट होती है. इसका हर हाल में त्याग करना चाहिए