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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद स्पेशल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 25 जून को कानपुर के लिए होने रवाना

25 जून को दिल्ली के सफ़दरजंग रेलवे स्टेशन से राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद स्पेशल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना होंगे. राष्ट्रपति कोविंद 28 तारीख़ को कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से अपनी दो दिनों की लखनऊ यात्रा पर निकलेंगे. 29 जून को राष्ट्रपति एक विशेष विमान से दिल्ली वापस लौटेंगे.

प्रेसिडेंशियल ट्रेन कानपुर देहात के दो छोटे स्टेशनों झिनझक और रूरा पर रुकेगी जहां राष्ट्रपति कोविंद अपने स्कूल के दिनों के और समाज सेवा के शुरुआती दिनों के परिचितों से मिलेंगे.

जिन दो छोटे स्टेशनों पर प्रेसिडेंशियल ट्रेन रुकेगी वो दोनों स्टेशन राष्ट्रपति कोविंद के जन्म स्थान कानपुर देहात के परौंख गांव के नज़दीक हैं. राष्ट्रपति के पैतृक गाँव में 27 तारीख़ को उनके सम्मान में दो अभिनंदन समारोह भी आयोजित किए जाएँगे.

इस ट्रेन रूट की खास बात ये है कि इससे गुज़रते हुए राष्ट्रपति कोविंद अपने जीवन के बीते 70 सालों की यादों को एक बार फिर ताज़ा कर सकेंगे. ये यादें उनके बचपन से लेकर देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचने तक से जुड़ी हैं.

राष्ट्रपति बनने के बाद उनका अपने जन्मस्थान का ये पहला दौरा है. राष्ट्रपति इससे पहले भी अपने जन्मस्थान जाना चाहते थे लेकिन कोरोना महामारी के कारण नहीं जा सके थे.

देश में राष्ट्रपति की रेल यात्रा की एक पुरानी परम्परा है जिसके माध्यम से राष्ट्रपति देश की जनता से सीधे जुड़ते रहे हैं, राष्ट्रपति कोविंद की ये रेल यात्रा भी इसी महत्वपूर्ण कड़ी का एक हिस्सा है.

ऐसा 15 साल बाद हो रहा है जब कोई मौजूदा राष्ट्रपति रेल यात्रा करेंगे. इससे पहले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने दिल्ली से देहरादून तक की रेल यात्रा की थी जहां उन्हें इंडियन मिलेट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड में शामिल होना था.

राष्ट्रपति भवन के अनुसार देश पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद अक्सर रेल यात्रा करना पसंद करते थे. राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ही उन्होंने अपने बिहार दौरे के बीच में सिवान ज़िले में स्थित अपने जन्मस्थान जीरादेई का दौरा भी किया था.

उन्होंने छपरा से स्पेशल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से जीरादेई तक की रेल यात्रा की थी. तब वो जीरादेई में तीन दिन तक ठहरे थे. राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने देश भर में रेल यात्राएँ की थीं. डा. राजेंद्र प्रसाद के बाद भी विभिन्न राष्ट्रपतियों ने जनता से अपने जुड़ाव को बनाए रखने के लिए रेल यात्रा को पसंद किया था.

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