कॉर्न फ्लेक्स का सेवन करने से ब्लड शुगर के बढ़ने का रहता है खतरा
सुबह के नाश्ते में कॉर्न फ्लेक्स का सेवन करने का चलन काफी बढ़ गया है. ख़ास कर वो लोग इसको रोज़ाना अपने ब्रेकफास्ट में शामिल करने लगे हैं जो वजन कम करने पर फोकस कर रहे हैं.
तो कुछ लोग इसको स्वाद के लिए भी खाना पसंद करते हैं. कॉर्न फ्लेक्स से सम्बंधित तरह-तरह के लुभावने विज्ञापनों को देखकर लोगों को लगता है कि ये सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद और हेल्दी नाश्ता है
जो सेहत को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा सकता है. जबकि mensxp में प्रकाशित एक खबर के अनुसार इसको खाने से कई तरह के नुकसान भी शरीर को हो सकते हैं. आइये जानते हैं इसके बारे में.
कॉर्न फ्लेक्स का रोज़ाना सेवन करने से डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई होता है.दरअसल ग्लाइसेमिक इंडेक्स वह पैमाना होता है जिससे ये पता लगाया जाता है
कि कोई भी खाद्य सामग्री कितनी मात्रा में और कितनी तेजी के साथ ब्लड में शुगर लेवल को बड़ा सकती है. कॉर्न फ्लेक्स का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 81+6 या फिर 81-6 होता है.
इसका मतलब है कि ये 80 से 6 प्वाइंट ज्यादा भी हो सकता है और 6 प्वाइंट कम भी हो सकता है. दरअसल ग्लाइसेमिक इंडेक्स को 100 में से कैल्कुलेट किया जाता है जिसके अनुसार 55 या इस से कम मात्रा को बेहतर माना जाता
और 56 से 69 ग्लाइसेमिक इंडेक्स को मीडियम कैटेगिरी में रखा जाता है. इसके साथ ही 70 से ऊपर ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली खाद्य सामग्री को हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स कैटेगिरी में रखा जाता है.
कॉर्न फ्लेक्स का सेवन करने से वजन और ब्लड शुगर दोनों बढ़ने का खतरा बना रहता है. दरअसल कॉर्न फ्लेक्स जितना टेस्टी लगता है उतना होता नहीं है. इसको टेस्टी बनाने के लिए कई प्रोसेस से गुज़ारा जाता है.
कॉर्न फ्लेक्स के टेस्टी बनाने के लिए सोडियम में गर्म किया जाता है और इसमें कॉर्न सिरप और स्वीटनर भी मिलाये जाते हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसका ओरिजिनल टेस्ट कच्चे ओट्स या किसी अनाज के जैसा होता है जो खाने में बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता है.