मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस का कहर
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के लिए अब नई मुसीबत खड़ी होने जा रही है. प्रदेश में ब्लैक फंगस से तो लोग ठीक हो गए, लेकिन उनकी हालत बदतर होती जा रही है. ब्लैक फंगस से ठीक हुए कई मरीजों के तालू और ऊपरी जबड़े की हड्डी सड़ रही है. इनके जबड़ों को काटकर अलग करना पड़ रहा है.
ब्लैक फंगस से ठीक होने वाले मरीजों को अब दुर्लभ बीमारी ‘ऑस्टियोमेलाइटिस’ हो रही है. ये बीमारी मरीजों के तालू और ऊपरी जबड़े खराब कर देती है. इसमें हड्डी सड़ जाती है. राजधानी भोपाल में पिछले कुछ दिनों में इस बीमारी के 20 से ज्यादा मामले देखने को मिले. इनमें कई लोगों के जबड़ों को काटकर अलग करना पड़ा.
हमीदिया अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि ये बीमारी दुर्लभ है, लेकिन नई नहीं है. कई सालों में एक-दो मरीजों में ही ऐसा देखने को मिलता था. ब्लैक फंगस पीड़ितों के मामले बढ़ने के साथ अब इसके मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.
हफ्ते में 2-3 मामले को देखने को मिल रहे है. डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी का जल्दी इलाज कराना जरूरी है. जितनी जल्दी इलाज होगा, शरीर का उतना हिस्सा कम कटेगा.
इस बीमारी के ज्यादा मामले सामने आने का कारण ब्लैक फंगस से बड़ी संख्या में लोगों का संक्रमित होना है. हमीदिया में ही कुछ दिनों में ऑस्टियोमेलाइटिस से पीड़ित 10 से ज्यादा लोगों के ऑपरेशन किए जा चुके हैं.
ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस नाम के फंगस से पीड़ित के तालू और ऊपरी जबड़े की रक्त कोशिकाओं में खून के थक्के जम जाते हैं. इससे हड्डियों तक खून की सप्लाई बाधित हो जाती है. इसके कारण हड्डियां सड़ने लगती हैं. इसे ही ऑस्टियोमेलाइटिस कहते हैं.
डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी में ऊपरी जबड़े में सूजन होने लगती है. लोगों के दांत अचानक हिलने लगते हैं. ऊपरी मसूढ़ों पर पस आने लगता है और दर्द होता है. होंठ भी करीब-करीब सुन्न हो जाते हैं. तालू की चमड़ी सड़ने लगती है.
देश में कोविड की दूसरी लहर के कमजोर होने के बीच 6 राज्यों में केंद्रीय टीमें रवाना की गई हैं. मिली जानकारी के अनुसार इन राज्यों में कोविड के ज्यादा मामले पाए जा रहे हैं.
केंद्र ने नियंत्रण और रोकथाम के उपायों के लिए 6 राज्यों में टीमें भेजीं है. जिन राज्यों में केंद्र ने टीमें भेजी हैं उसमें केरल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मणिपुर शामिल है.