पश्चिम बंगाल चुनाव बाद हुई हिंसा में हाई कोर्ट ने दिया आदेश
बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पुलिस को आदेश दिया कि वह हिंसा पीड़ितों के सभी मामले दर्ज करे।
अदालत ने राज्य सरकार को सभी पीड़ितों के लिए चिकित्सा उपचार सुनिश्चित करने और राशन कार्ड न होने पर भी प्रभावितों के लिए राशन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब है कि बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा को लेकर हाई कोर्ट में दायर कई जनहित याचिकाओं पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ सुनवाई कर रही है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस हिंसा पीड़ितों की शिकायतें भी दर्ज नहीं कर रही है। इसके बाद हाई कोर्ट ने पुलिस को यह निर्देश दिया है।
इसके साथ ही मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच को 13 जुलाई तक बढ़ा दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 13 जुलाई को होगी।
हाई कोर्ट के आदेश पर मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर रही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की टीम ने इससे पहले हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा और पीड़ितों से बातचीत के बाद 30 जून को पिछली सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी थी।
आयोग की टीम ने मंगलवार को राज्य का दौरा खत्म किया था। अब उसे 13 जुलाई तक जांच की अनुमति मिल गई है। इससे पहले गुरुवार को बंगाल में हिंसा का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठा था।
बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व बंगाल सरकार को नोटिस भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।