आज शुक्ल पक्ष की सप्तमी में ताप्ती जयंती जाने मां ताप्ती अवतरण की कथा
आज अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ताप्ती जयंती है. हिंदू धर्म में ताप्ती जयंती की बहुत महिमा बतायी गई है. देवी ताप्ती को सूर्य देव की पुत्री बताया गया है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान सूर्य ने स्वयं की गर्मी या ताप से अपनी रक्षा करने के लिए ताप्ती को धरती पर अवतरित किया था. जिस दिन ताप्ती का अवतरण हुआ था
उस दिन अषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी थी. तभी से ताप्ती जयंती मनाई जाने लगी. बता दें कि ताप्ती भारत की प्रमुख नदियों में से एक है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मां ताप्ती के अवतरण की कथा…
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पुत्री तापी, जो ताप्ती कहलाईं, सूर्य भगवान के द्वारा उत्पन्न की गईं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान सूर्य ने स्वयं की गर्मी या ताप से अपनी रक्षा करने के लिए ताप्ती को धरती पर अवतरित किया था.
भविष्य पुराण में ताप्ती महिमा के बारे में लिखा है कि सूर्य ने विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा/ संजना से विवाह किया था. संजना से उनकी 2 संतानें हुईं- कालिंदनी और यम.
उस समय सूर्य अपने वर्तमान रूप में नहीं, वरन अंडाकार रूप में थे. संजना को सूर्य का ताप सहन नहीं हुआ, अत: वे अपने पति की परिचर्या अपनी दासी छाया को सौंपकर एक घोड़ी का रूप धारण कर मंदिर में तपस्या करने चली गईं.
छाया ने संजना का रूप धारण कर काफी समय तक सूर्य की सेवा की. सूर्य से छाया को शनिचर और ताप्ती नामक 2 संतानें हुईं. इसके अलावा सूर्य की 1 और पुत्री सावित्री भी थीं. सूर्य ने अपनी पुत्री को यह आशीर्वाद दिया था कि वह विनय पर्वत से पश्चिम दिशा की ओर बहेगी.
पुराणों में ताप्ती के विवाह की जानकारी पढ़ने को मिलती है. वायु पुराण में लिखा गया है कि कृत युग में चन्द्र वंश में ऋष्य नामक एक प्रतापी राजा राज्य करते थे.
उनके एक सवरण को गुरु वशिष्ठ ने वेदों की शिक्षा दी. एक समय की बात है कि सवरण राजपाट का दायित्व गुरु वशिष्ठ के हाथों सौंपकर जंगल में तपस्या करने के लिए निकल गए.
वैभराज जंगल में सवरण ने एक सरोवर में कुछ अप्सराओं को स्नान करते हुए देखा जिनमें से एक ताप्ती भी थीं. ताप्ती को देखकर सवरण मोहित हो गया और सवरण ने आगे चलकर ताप्ती से विवाह कर लिया.
सूर्यपुत्री ताप्ती को उसके भाई शनिचर (शनिदेव) ने यह आशीर्वाद दिया कि जो भी भाई-बहन यम चतुर्थी के दिन ताप्ती और यमुनाजी में स्नान करेगा, उनकी कभी भी अकाल मौत नहीं होगी.