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हरियाली तीज का इंतजार हुआ खत्म आज आ गई हरियाली तीज जाने क्यों है खास क्या है पूजा-विधि

सावन के महीने में पूजा पाठ और त्योहार का बड़ा ही महत्व होता है. सावन के महीने में कई त्योहार तथा व्रत पड़ते हैं जिनमें सावन सोमवार , सावन अमावस्या, हरियाली तीज, नाग पंचमी और रक्षाबंधन प्रमुख हैं.

आपको बता दें कि इस महीने में पड़ने वाली हरियाली तीज का इंतजार हर शादीशुदा महिला को होता है. सावन महीने में आने के कारण, इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है. आज हरियाली तीज मनाई जा रही है.

कुछ जगह इसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है. तीज का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है. इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती हैं. मां पार्वती और शिव जी की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं.

हिन्दू धर्म में हर कार्य को करने और उससे शुभ फल प्राप्ति के लिए कुछ नियम बताएं जाते हैं. इसके अनुसार अगर उस कार्य को किया जाए तो उससे न केवल सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है,

बल्कि उसका फल भी अधिक मिलता है. इसलिए हरियाली तीज की पूजा-विधि के लिए भी शास्त्रों में, कुछ विशेष नियमों का उल्लेख किया गया है. आइए जानते हैं, हरियाली तीज की संपूर्ण पूजा-विधि.

-हरियाली तीज वाले दिन महिलाओं को ब्रह्म मुहूर्त में ही, सुबह जल्दी उठना चाहिए.

-इसके बाद स्नान, आदि से स्वच्छ होकर, नए वस्त्र पहनने चाहिए.

-फिर पूजा घर की अच्छे से सफाई कर, वहां गंगाजल से छिड़काव करें.

-इसके पश्चात स्वच्छ मिट्टी से भगवान शिव, मां पार्वती और बाल गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति का निर्माण करना चाहिए. अगर ऐसा करना संभव न हो तो, आप समस्त शिव परिवार की मूर्ति अथवा चित्र भी पूजा घर में रख सकते हैं.

-अब एक चौकी पर स्वच्छ हरे रंग का वस्त्र बिछा लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भगवान का ध्यान करें.

-फिर उस चौकी पर भगवान शिव के परिवार की मूर्ति अथवा चित्र को स्थापित करें.

-इसके बाद ही वैवाहिक महिलाएं अपने समृद्ध दांपत्य जीवन की और कुवारी महिलाएं इच्छानुसार वर की प्राप्ति हेतु, सच्चे मन से हरियाली तीज का व्रत रखने का संकल्प लें.

-इसके बाद सर्वप्रथम भगवान बाल गणेश की पंचोपचार पूजा कर, उनका भी आशीर्वाद लें.

-अब भगवान महादेव और मां पार्वती की पूजा-आराधना करनी चाहिए.

-पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार और सुहाग की संपूर्ण सामग्री और भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें.

-इसके बाद महिलाओं को तीज के व्रत की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए.

-महिलाएं चाहे तो एक समूह बनाकर अन्य महिलाओं के साथ भी इस व्रत की कथा को पढ़ या सुन सकती हैं.

-इसके बाद सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश, भगवान शिव और मां पार्वती की पावन आरती करें.

-इस दौरान उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और फिर उन्हें घर के बने स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाएं. फिर उसी प्रसाद को खुद ग्रहण करें और दूसरों में बाटें.

-अंत में संध्या काल में एक समय सात्विक भोजन करते हुए, तीज का व्रत खोलें

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