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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए

1 – चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से आगामी वित्तीय वर्षाें हेतु बीज ग्राम योजनान्तर्गत गेहूं एवं धान के बीज पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं के समतुल्य
अनुदान की धनराशि दिये जाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा विशेषअनुदान की नयी व्यवस्था प्रारम्भ किये जाने के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से आगामी वित्तीय वर्षाें हेतु बीज ग्राम योजनान्तर्गत गेहूं एवं धान के बीज पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं के समतुल्य अनुदान की धनराशि दिये जाने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा विशेष अनुदान की नयी व्यवस्था प्रारम्भ किये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    ज्ञातव्य है कि केन्द्र पोषित योजनाओं यथा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, पूर्वी भारत में हरित क्रान्ति के विस्तार की योजना, एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत धान एवं गेहूं बीज वितरण पर कृषकों को मूल्य का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 2,000 रुपये प्रति कुन्तल, जो भी कम हो, अनुदान अनुमन्य है ।
    बीज ग्राम योजना के अन्तर्गत धान एवं गेहूं के बीजों के वितरण पर मूल्य का 50 प्रतिशत एवं अधिकतम 1,750 रुपये प्रति कुन्तल धान पर एवं 1,600 रुपये प्रति कुन्तल गेहूं पर अनुदान अनुमन्य किया गया है, जो अन्य केन्द्रीय योजनाओं की तुलना में कम है। इससे कृषक इस योजना की ओर कम आकर्षित होते हैं, जिसके कारण भारत सरकार से आवंटित धनराशि का शत-प्रतिशत सदुपयोग नहीं हो पाता।
    प्रस्तावित विशेष अनुदान की नई व्यवस्था का उद्देश्य कृषकों के माध्यम से उन्नतिशील प्रजातियों के बीजोत्पादन को प्रोत्साहित कर, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना तथा अनुदान पर विभिन्न फसलों के उन्नतशील प्रजातियों के बीज अधिकाधिक कृषकों को उपलब्ध कराना है ।
    बीज ग्राम योजनान्तर्गत गेहूँ एवं धान के बीज मूल्य पर अन्य केन्द्रीय योजनाओं के समतुल्य अनुदान की अधिकतम धनराशि 2,000 रुपये प्रति कुंतल दिये जाने के दृष्टिगत, चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 से प्रदेश में जायद, खरीफ एवं रबी मौसम की विभिन्न फसलों के बीजों पर बीज ग्राम योजनान्तर्गत ‘बीज उत्पादन कार्य मद’ में केन्द्र सरकार द्वारा धान एवं गेहूं के बीज मूल्य पर 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम धनराशि क्रमशः 1750 रुपये प्रति कुन्तल एवं 1600 रुपये प्रति कुन्तल तक के अनुदान के अतिरिक्त बीज उत्पादन कार्यक्रम अन्तर्गत कृषकों को प्रोत्साहित करने हेतु, धान के बीज पर 250 रुपये प्रति कुन्तल एवं गेहूं के बीज पर 400 रुपये प्रति कुन्तल का अतिरिक्त अनुदान उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा।

2 – जनपद मीरजापुर में विन्ध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गाें को जोड़ने वाले पहुंच मार्गाें के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण, विन्ध्यवासिनी मंदिर
पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण एवं विन्ध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने जनपद मीरजापुर में विन्ध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गाें को जोड़ने वाले पहुंच मार्गाें के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण, विन्ध्यवासिनी मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण एवं विन्ध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण में उच्च विशिष्टियों के प्रयोग के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
    विन्ध्यवासिनी मंदिर को जाने वाले मार्गाें को जोड़ने वाले पहुंच मार्गाें के सुदृढ़ीकरण एवं निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4038.10 लाख रुपये, विन्ध्यवासिनी मंदिर पर परकोटा एवं परिक्रमा पथ के निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4,575.97 लाख रुपये तथा विन्ध्यवासिनी मंदिर की गलियों के फसाड ट्रीटमेंट के निर्माण से सम्बन्धित परियोजना के लिए 4,187.92 लाख रुपये की लागत आकलित की गयी है। मंत्रिपरिषद ने परियोजना के सम्बन्ध में अग्रतर कार्यवाही हेतु निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
    ज्ञातव्य है कि जनपद मीरजापुर स्थित आदि शक्ति माँ विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर करोड़ों देशवासियों के लिए श्रद्धा एवं आस्था का केन्द्र है, जहाँ प्रतिवर्ष भारत के कोने-कोने से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ आते हैं एवं विशेष रूप से नवरात्रि के अवसरों पर यह संख्या और अधिक हो जाती है। विन्ध्यांचल स्थित मुख्य मंदिर में माँ विन्ध्यवासिनी धाम के चारों तरफ परम्परागत तौर पर श्रद्धालुओं के द्वारा परिक्रमा की जाती है, परन्तु मंदिर परिसर में परिक्रमा मार्ग सीमित एवं सँकरा होने के कारण दुर्घटना की सम्भावना बनी रहती है। सम्भावित दुर्घटना को रोकने के लिए नवरात्रि के समय भारी संख्या में पुलिस बल तैनात करना पड़ता है। विन्ध्यधाम में पर्यटन सुविधायें विकसित करने से यहाँ पर प्रत्येक श्रेणी के पर्यटकों का आवागमन बढ़ाये जाने के साथ-साथ उनके रात्रि प्रवास को भी बढ़ाया जा सकता है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के साथ-साथ पूँजी निवेश में भी वृद्धि होगी।

3 – उड़ान 4.1 ( UDAN 4.1 ) की बिड में चयनित राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित रूट्स पर 100 प्रतिशत वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किये जाने के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने उड़ान 4.1 ( UDAN 4.1 ) की बिड में चयनित राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित रूट्स पर 100 प्रतिशत वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। तदनुसार राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित समस्त रूट्स के लिए 03 वर्ष हेतु वार्षिक आधार पर प्रतिवर्ष वायबिलिटी गैप फण्डिंग (वी0जी0एफ0) की आगणित धनराशि 02 अरब 56 करोड़ 28 लाख 32 हजार 170 रुपये को राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार द्वारा निर्धारित व्यवस्था के अनुसार भुगतान किये जाने हेतु वचनबद्धता के सम्बन्ध में सहमति भी प्रदान की गई है। मंत्रिपरिषद ने इसके सम्बन्ध में यथावश्यक अन्य बिन्दुओं पर निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
    इस निर्णय से प्रदेश में नागरिक उड्डयन क्षेत्र का विकास होगा, जिससे व्यावसायिक, औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ पर्यटन, चिकित्सा आदि क्षेत्रों में भी प्रगति होगी। परिणामस्वरूप राज्य सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी। इस निर्णय से देश-विदेश में आवागमन हेतु वायु सेवा की उपलब्धता बढ़ेगी। साथ ही, प्रदेश मंे उड़ानों की संख्या में वृद्धि होने से रोजगार के नये अवसर उपलब्ध होंगे।

4 – उ0प्र0 एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ अनुमोदित

  • मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार द्वारा स्वीकृत एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ की भांति प्रदेश के लिए तैयार की गयी उत्तर प्रदेश एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी ‘अपनी धरोहर, अपनी पहचान’ को अनुमोदित कर दिया है।
    नीति के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों का स्थलीय विकास, रखरखाव एवं जन सुविधाओं का प्रबन्धन सार्वजनिक उद्यम इकाइयों व निजी क्षेत्र की सहभागिता से किया जाएगा। नीति के तहत संरक्षित स्मारकों/पुरास्थलों को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र के उद्यमियों को स्मारक मित्र बनाया जाना प्रस्तावित है। चयनित स्मारक मित्रांे द्वारा स्वयं के संसाधनों से स्मारकों का स्थलीय विकास, पर्यटकों के लिए स्मारक परिसर में जनसुविधा प्रबन्धन एवं वार्षिक रखरखाव आदि की व्यवस्था की जाएगी।
    एडाॅप्ट ए हेरिटेज पाॅलिसी के अन्तर्गत चयनित स्मारक मित्र, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग), पर्यटन विभाग एवं सम्बन्धित जिले के जिलाधिकारी के मध्य एम0ओ0यू0 किया जाएगा, जिसकी अधिकतम अवधि 05 वर्ष के लिए होगी। प्रस्तावित कार्य संस्कृति विभाग (उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय) एवं पर्यटन विभाग द्वारा सम्बन्धित जनपद के जिलाधिकारी के माध्यम से पारस्परिक सहयोग से किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन हेतु संस्कृति विभाग एवं पर्यटन विभाग की एक संयुक्त समिति बनायी जाएगी। संयुक्त समिति द्वारा निर्धारित कार्ययोजना के अनुसार कार्य किया जाएगा।
    मंत्रिपरिषद द्वारा नीति के अन्तर्गत प्रथम चरण में पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग के 11 प्रमुख स्मारकों/स्थलों का चयन स्मारक मित्र बनाये जाने के लिए किये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमति प्रदान कर दी गयी है। चयनित स्मारकों में छतरमंजिल एवं फरहत बख्श कोठी कैसरबाग लखनऊ, कोठी गुलिस्ताने इरम कैसरबाग लखनऊ, दर्शन विलास कोठी कैसरबाग लखनऊ, हुलासखेड़ा उत्खनन स्थल मोहनलालगंज लखनऊ, कुसुमवन सरोवर गोवर्धन मथुरा, गोवर्धन की छतरियां गोवर्धन मथुरा, रसखान समाधि गोकुल मथुरा, गुरुधाम मन्दिर वाराणसी, कर्दमेश्वर महादेव मन्दिर कंदवा वाराणसी, चुनार किला मीरजापुर एवं प्राचीन दुर्ग बरुआसागर झांसी सम्मिलित हैं। इसके उपरान्त उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा चयनित अन्य स्मारकों एवं धरोहरों को विकसित करने हेतु आवश्यकतानुसार स्मारक मित्र बनाये जाएंगे।

5 – उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रमों और फ्लाइंग क्लबों/अकादमियों के लिए हवाई पट्टियों के उपयोग की नीति’ को स्वीकृति

  • मंत्रिपरिषद ने प्रस्तावित नयी नीति ‘उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रमों और फ्लाइंग क्लबों/अकादमियों के लिए हवाई पट्टियों के उपयोग की नीति’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अन्तर्गत नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा चयनित संगठनों (फ्लाइंग क्लब/एकेडमी) को अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अन्धऊ (गाजीपुर), श्रावस्ती, फर्रुखाबाद, धनीपुर (अलीगढ़), अमहट (सुल्तानपुर), म्योरपुर (सोनभद्र), सैफई (इटावा), पलिया (खीरी), झांसी, रसूलाबाद (कानपुर देहात), आजमगढ़ व चित्रकूट जनपदों में स्थित कुल 13 हवाई पट्टियों तथा उन पर निर्मित परिसम्पत्तियों (हैंगर, भवन आदि) को उड्डयन के क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने हेतु अनुमति प्रदान की जाएगी।
    चिन्हित हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति (एक हवाई पट्टी पर चार संगठनों को) दी जाएगी। हवाई पट्टी पर हैंगर, भवन/अन्य सुविधाएं उपलब्ध है तो अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर उपयोग की अनुमति दी जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम की आवश्यकतानुसार नाइट लैण्डिंग हेतु सैफई जनपद इटावा हवाई पट्टी का उपयोग अतिरिक्त धनराशि देकर किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अतिरिक्त राजकीय विमानों तथा चार्टर विमानों के उपयोग के लिए लायी जाएगी। संगठन को 10 वर्ष के अस्थायी तौर पर दी जाएगी, जिसे राज्य सरकार 06 माह की नोटिस पर वापस ले सकेगी। नागरिक उड्डयन विभाग शर्तों की समीक्षा करेगा। संगठन को हैंगर, भवनों/अन्य का अपने व्यय पर मरम्मत करानी होगी। संगठन को हवाई पट्टी के उपयोग के लिए 10 लाख प्रतिवर्ष के हिसाब से 10 वर्ष के लिए दी जाएगी। ई-टेण्डरिंग के माध्यम से चयन की प्रक्रिया की जाएगी। प्राप्त प्रस्ताव का परीक्षण विशेषज्ञ समिति, जिसके अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, नागरिक उड्डयन विभाग होंगे। प्रशिक्षुओं से लिए जाने वाले शुल्क की 03 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार को देय होगी।
    उत्तर प्रदेश राज्य में 17 हवाई पट्टियां स्थित है। वर्ष 2007 में इन हवाई पट्टियों के रख-रखाव, सुरक्षा राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों तथा रोजगार के नए अवसरों के नए सृजन की प्रतिबद्धता को दृष्टिगत रखते हुए राज्य द्वारा अपने नियंत्रणाधीन/स्वामित्व की हवाई पट्टियों का निजी संस्थाओं को उड़ान प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं वायुयान अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए अनुमति दिए जाने हेतु नीति निर्धारित की गई थी एवं तत्समय क्रियाशील कुल 12 हवाई पट्टियों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के रूप में निजी संस्थाओं को उड़ान प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं वायुयान अनुरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए उपयोग करने की अनुमति की नीति शासनादेश दिनांक 27 जुलाई, 2007 के माध्यम से प्रख्यापित की गई। उक्त नीति के अन्तर्गत वर्तमान में अलीगढ़ हवाई पट्टी पर 04, सुल्तानपुर हवाई पट्टी पर 01, मेरठ हवाई पट्टी पर 01 व अयोध्या हवाई पट्टी पर 01 निजी संस्था अपनी गतिविधियाँ संचालित कर रही हैं।
    पूर्व नीति के लागू होने से अब तक लगभग 13 वर्ष के समय में नागरिक उड्डयन के परिवेश में काफी बदलाव हो गया है, जिससे पूर्व नीति में कतिपय संशोधन कर नई नीति लागू किए जाने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है।

6 – एन0सी0आर0 में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ काॅरिडोर परियोजना से आच्छादित परिवहन निगम के भवनों के अन्यत्र निर्माण हेतु परिवहन विभाग को निःशुल्क भूमि आवंटित/हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन0सी0आर0) में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आर0आर0टी0एस0) की दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ काॅरिडोर परियोजना से आच्छादित परिवहन निगम के भवनों के अन्यत्र निर्माण हेतु, परिवहन विभाग को निःशुल्क भूमि आवंटित/हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अन्तर्गत रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम परियोजना से होने वाले क्षेत्र के समग्र विकास, व्यापक आर्थिक लाभ तथा श्रम एवं उद्योग की उत्पादकता दर बढ़ने के दृष्टिगत इस परियोजना से आच्छादित परिवहन निगम की क्षेत्रीय कार्यशाला/आवासीय काॅलोनी/गेस्ट हाउस आदि को अन्यत्र निर्माण हेतु चिन्हित भूमि जनपद मेरठ के ग्राम मुकर्रबपुर, पल्हेड़ा, तहसील सरधना में भूमि खाता संख्या-396, खसरा सं0-01मि0/1.3470 हे0, 01मि0/2.2750 हे0 कुल रकबा 3.6220 हे0 में 3.00 एकड़ अर्थात 12140.55 वर्गमीटर भूमि जो राजस्व अभिलेखों में श्रेणी 4क(ख)/अन्य भूमि/सीलिंग के रूप मंे निर्दिष्ट है को व्यापक जनहित एवं प्रदेश की जनता को सुगम परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु परिवहन निगम की वित्तीय स्थिति के दृष्टिगत राजस्व विभाग द्वारा परिवहन विभाग के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित/आवंटित किये जाने की अनुमति प्रदान की गयी है।

7 – उ0प्र0 जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2021 प्रख्यापित

  • मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2021 को प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
    ज्ञातव्य है कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 9ख की उपधारा-3 और धारा 15 एवं 15क द्वारा प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास की संरचना और उनके कृत्यों का विनियमन करने तथा खनन क्रियाकलापों के प्रभावित क्षेत्रों में विकास सम्बन्धी क्रियाकलाप सम्पादित करने की रीति को विहित करने के उद्देश्य से, अधिसूचना दिनांक 15.05.2017 द्वारा उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास नियमावली, 2017 प्रख्यापित की गई है।
    इस नियमावली के नियम – 17(क) (ख) में संशोधन करते हुए उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउन्डेशन न्यास (प्रथम संशोधन) नियमावली, प्रख्यापित एवं प्रभावी है। नियमावली के नियम-4 में ‘न्यास का गठन एवं प्रबन्धन’ की व्यवस्था है, न्यास के अन्तर्गत ‘शासी परिषद’ एवं ‘प्रबन्ध समिति’ के गठन की व्यवस्था है।
    खान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा न्यास की प्रबन्ध समिति और शासी परिषद के संगठन में सदस्य के रूप में संसद सदस्य (लोक सभा एवं राज्य सभा), सदस्य विधान सभा तथा सदस्य विधान परिषद को नामित किये जाने हेतु राज्य सरकार को आवश्यक कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया गया है।
    खान मंत्रालय, भारत सरकार के उक्त निर्देशानुसार ‘उत्तर प्रदेश जिला खनिज फाउन्डेशन न्यास नियमावली, 2017’ के नियम-4 में संशोधन किया गया है। इसके अतिरिक्त, जिला खनिज फाउण्डेशन न्यास में उपलब्ध धनराशि को भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर दिये गये दिशा-निर्देशों के अन्तर्गत व्यय किये जाने का प्राविधान किये जाने के उद्देश्य से नियम-17 में भी संशोधन किया गया है।

8 – जनपद देवरिया में राजकीय आस्थान (पुरानी कचहरी) की भूमि पर शहीद स्व0 रामचन्द्र विद्यार्थी स्मृति स्थल के विकास एवं संग्रहालय के निर्माण के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने जनपद देवरिया में राजकीय आस्थान (पुरानी कचहरी) की भूमि पर शहीद स्व0 रामचन्द्र विद्यार्थी स्मृति स्थल के विकास एवं संग्रहालय के निर्माण हेतु जिलाधिकारी, देवरिया से प्राप्त सूचना के अनुसार जनपद देवरिया के तहसील-देवरिया सदर के ग्राम बाॅस देवरिया में अवस्थित राजकीय आस्थान (पुरानी कचहरी) की भूमि आ0सं0-117 रकबा 0.532 हे0 एवं आ0सं0-119 रकबा 0.849 हे0 भूमि को पर्यटन विभाग के नाम निःशुल्क हस्तांतरित कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रकरण में आवश्यकतानुसार अग्रतर निर्णय लिये जाने हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
    ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश भारत का विविधताओं से युक्त पर्यटन के आकर्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य है। भारत में घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों के आगमन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का क्रमशः प्रथम एवं तृतीय स्थान है। अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासतों तथा समृद्ध प्राकृतिक वन सम्पदाओं के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश में पर्यटन की असीम सम्भावनाएं विद्यमान हैं।
    भारत की आजादी का 75वाँ वर्ष आगामी वर्ष 2022 में व्यापक स्तर पर मनाया जाना प्रस्तावित है। इसके दृष्टिगत भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी समस्त प्रमुख घटनाओं एवं स्थलों के गरिमामयी प्रस्तुतीकरण का प्रयास किया जा रहा है।
    इस कड़ी में देवरिया जिले के नौतन हथियागढ़ गाँव के बाबूलाल प्रजापति के परिवार में एक अप्रैल, 1929 को जन्मे रामचन्द्र सातवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान 14 अगस्त, 1942 को देवरिया के पुराने कलेक्ट्रेट में तिरंगा फहराने के दौरान हुई फायरिंग में घायल हो गये और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी। काफी समय के बाद रामलीला मैदान में शहीद रामचन्द्र विद्यार्थी का स्मारक बनाया गया। यह स्थल सन् 1955 ई0 में पुरानी जेल एवं कलेक्ट्रेट के रूप में परिवर्तित हुआ।
    इस परिसर के विकास से आगन्तुक देशी/विदेशी पर्यटकों में बढ़ोत्तरी होगी एवं रोजगार सृजन व पूँजी निवेश में बढ़ोत्तरी होगी। शहीद स्थलों के समेकित विकास को एक नया आयाम मिलेगा।

9 – आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, अयोध्या के अन्तर्गत संचालित कृषि ज्ञान केन्द्र, देवरिया हेतु भूमि हस्तांतरण किए जाने के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने जिलाधिकारी देवरिया, आयुक्त एवं सचिव राजस्व परिषद तथा राजस्व विभाग की आख्याओं/परामर्श के दृष्टिगत ग्राम मेहड़ तप्पा धतुरा, परगना-सिलहट, तहसील व जिला देवरिया स्थित आराजी संख्या-1384 मि0 रकबा 0.625 हे0 (1.54-1/2 एकड़) भूमि को कृषि ज्ञान केन्द्र, देवरिया हेतु कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, उ0प्र0 शासन के माध्यम से आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के पक्ष में निःशुल्क हस्तांतरित किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
    मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से कृषकों तथा कृषि से सम्बन्धित जनसमुदाय को जागरूक तथा शिक्षित बनाने और प्रदर्शन, प्रशिक्षण, परीक्षण, किसान मेला, गोष्ठी एवं सामयिक साहित्य प्रसार कार्यों से नवीन कृषि तकनीकों को पहुंचाने एवं उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाने सम्बन्धी लाभ होंगे।

10 – उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस कार्मिकों को स्थानीय निकायों में बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात किए जाने तथा जल निगम के मृत कार्मिकों के आश्रितों को स्थानीय निकायों में नियुक्त किए जाने के सम्बन्ध में

  • मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 जल निगम की विषम आर्थिक स्थिति एवं स्थानीय निकायों में कार्मिकों की आवश्यकता के दृष्टिगत उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस कार्मिकों को स्थानीय निकायों में प्रतिनियुक्ति के आधार पर तैनात किए जाने तथा जल निगम के मृत कार्मिकों के आश्रितों को स्थानीय निकायों में नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    इसके अन्तर्गत निर्णय लिया गया है कि उत्तर प्रदेश जल निगम के चिन्हित सरप्लस कार्मिकों को विभिन्न नागर निकायों में समकक्ष रिक्त पदों के सापेक्ष बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रति नियुक्ति पर रखा जाए। नागर निकायों में बॉडीशॉपिंग के आधार पर प्रतिनियुक्ति पर रखे जाने वाले कार्मिकों को प्रतिनियुक्ति विषयक सुसंगत शासनादेशों में निर्धारित आयु सीमा तथा प्रतिनियुक्ति की अवधि की सीमा से मुक्त रखा जाए व तदनुसार यह कार्मिक नागर निकायों में आवश्यकतानुसार सेवानिवृत्त होने तक कार्य कर सकेंगे।
    मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय भी लिया है कि उ0प्र0 जल निगम के इन कार्मिकों को उनके कार्य, अनुभव एवं दक्षता के दृष्टिगत पदों की अर्हता के सम्बन्ध में यथावश्यकता शिथिलता प्रदान करते हुए उक्तानुसार नागर निकायों में सेवायोजित किया जाए। इन कार्मिकों को उ0प्र0 जल निगम में अनुमन्य वेतन आदि के समतुल्य धनराशि का भुगतान सम्बन्धित निकायों द्वारा उ0प्र0 जल निगम के माध्यम से किया जाए। उ0प्र0 जल निगम के सरप्लस इन कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति अवधि को सेवा सम्बन्धी/सेवानिवृत्तिक लाभों हेतु गणना की जाए।
    मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया है कि उ0प्र0 जल निगम के मृतक कार्मिकों के आश्रितों को ‘उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली, 1974 (यथासंशोधित)’ के सुसंगत प्राविधानों के अनुसार विभिन्न नागर निकायों में रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रदान की जाए। यह व्यवस्था अपवाद स्वरूप केवल एक बार ही की जाएगी और इसे भविष्य में उदाहरण नहीं माना जाएगा।
    मंत्रिपरिषद ने इस व्यवस्था में कार्यहित में आवश्यक संशोधन/परिवर्तन हेतु मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किए जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है।
    मंत्रिपरिषद के इस निर्णय से उ0प्र0 जल निगम के 1238 सरप्लस नियमित फील्ड कर्मचारियों को नियमित रूप से वेतन मिलेगा एवं 263 मृतक आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त होगी। इस निर्णय से जल निगम की वित्तीय आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। साथ ही, नागर निकायों में संचालित हो रही योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी, जिससे जनसामान्य को बेहतर सुविधा प्राप्त होगी।

11 – उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 में प्रथम संशोधन के रूप में नयी धाराओं 40 और 41 को सम्मिलित किए जाने तथा
उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 को विधान मण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत करने का प्रस्ताव अनुमोदित

  • मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 में प्रथम संशोधन के रूप में नयी धाराओं 40 और 41 को सम्मिलित किए जाने तथा उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 को विधान मण्डल के विचारार्थ प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 की धारा 39 के अनुसार राज्य सरकार को इस अधिनियम में नियम बनाने का अधिकार दिया गया है, परन्तु स्लम पुनर्विकास के क्रियान्वयन हेतु विनियम बनाए जाने का अधिकार प्राप्त नहीं है। इस अधिकार को प्राप्त करने हेतु अधिनियम में नयी धारा 40 व 41 सम्मिलित करने के लिए उ0प्र0 मलिन बस्ती क्षेत्र (सुधार एवं निपातन) अधिनियम, 1962 (संशोधन) विधेयक 2021 विधान मण्डल से पारित कराया जाना प्रस्तावित है। अधिनियम में संशोधन के उपरान्त शहरी क्षेत्र की मलिन बस्ती की झुग्गी, झोपड़ी में रहने वाले लाभार्थियों के लिए पुनर्विकास नीति 2021 बनाना सम्भव हो सकेगा।

12 – उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्य विधान मण्डल में पुरास्थापित/पारित कराए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

  • मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था (संशोधन) विधेयक, 2021 को राज्य विधान मण्डल के द्वितीय सत्र 2021 में पुरास्थापित/पारित कराए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    प्रस्तावित संशोधन से उ0प्र0 जल निगम का सुदृढ़ीकरण/पुनर्गठन होगा, जिसके फलस्वरूप जनसामान्य को बेहतर पेयजल सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही, प्रस्तावित संशोधन से जल निगम का प्रशासनिक/वित्तीय सुदृढ़ीकरण भी होगा, जिससे जल निगम के कर्मचारियों को सेवा सम्बन्धी लाभ प्राप्त होंगे।
    ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश जल निगम की नगरीय एवं ग्रामीण योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण हेतु उ0प्र0 जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था अधिनियम, 1975 में संशोधन का प्रस्ताव है। संशोधन के मुख्य बिन्दुओं के अंतर्गत निगम को उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) तथा उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग, प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन, उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) के तथा प्रमुख सचिव पंचायती राज, प्रमुख सचिव नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति, प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास, उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के पदेन सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त निदेशक स्थानीय निकाय, उ0प्र0 जल निगम (शहरी) तथा निदेशक पंचायती राज विभाग, उ0प्र0 जल निगम ग्रामीण के पदेन सदस्य होंगे। प्रस्तावित विधेयक में उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) एवं उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के कार्यक्षेत्र एवं कृत्यों को निर्धारित किया गया है। कार्मिकों के सेवा सम्बन्धी देयकों एवं परिसम्पत्तियों के विभाजन की व्यवस्था की गई है। उ0प्र0 जल निगम (नगरीय) तथा उ0प्र0 जल निगम (ग्रामीण) के कार्मिकों के समायोजन, उनके वेतन भत्तों तथा सेवा सम्बन्धी अन्य देयकों के भुगतान के सम्बन्ध में व्यवस्था प्राविधानित की गई है।

13 – उ0प्र0 ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली, 1983 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित

  • मंत्रिपरिषद ने उ0प्र0 ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली, 1983 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
    उत्तर प्रदेश ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग ड्राइंग अधिष्ठान सेवा नियमावली-1983 में संगणक वर्तमान में परिवर्तित पदनाम अवर अभियन्ता (प्राविधिक) के पद पर भाग-4 अर्हताएं के अन्तर्गत नियम 8-1 शैक्षिक अर्हताएं में ‘उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त किसी संस्था से सिविल अभियंत्रण में डिप्लोमा’ के स्थान पर ‘उ0प्र0 प्राविधिक शिक्षा परिषद अथवा विधि द्वारा स्थापित किसी भी मान्यता प्राप्त संस्था से सिविल इंजीनियरिंग में 03 वर्षीय डिप्लोमा अथवा विधि द्वारा स्थापित किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्था से सिविल अभियंत्रण में बी0टेक0 डिग्री या समकक्ष शैक्षिक अर्हता रखता हो’, का प्राविधान किया जाना प्रस्तावित है, ताकि उच्चतर अर्हताधारक अभ्यर्थियों एवं उच्चतर अर्हताधारक मृतक आश्रितों को भी उक्त पद पर भर्ती का अवसर प्राप्त हो सके। इसके दृष्टिगत सेवा नियमावली में संशोधन का निर्णय लिया गया है।

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