राहुल गांधी को क्यों लगता है कि 2019 चुनाव में बसपा-कांग्रेस गठबंधन अभी भी संभव है
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ किसी तरह का गठबंधन करने से भले ही इनकार कर दिया हो, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को भरोसा जताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव को दोनों पार्टियां साथ मिलकर लड़ेंगी. हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में राहुल ने कहा कि बसपा प्रमुख का कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने के फैसले से राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
राहुल ने इस संबंध में तर्क देते हुए कहा, “राज्यों में गठबंधन और केंद्र में गठबंधन दो अलग-अलग चीजें हैं और मायावती ने इस बारे में संकेत दिए हैं.” राहुल ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि (कांग्रेस के साथ) मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसपा का गठबंधन नहीं करना हमें प्रभावित करेगा.”
कांग्रेस अध्यक्ष ने जाहिर तौर पर मायावती के इस दावे की पुष्टि की है कि कुछ पार्टी नेताओं का रुख गठबंधन तोड़ने को लेकर अड़ियल था. उन्होंने कहा, “राज्यों में (सीट साझा करने के बारे में) हमारा रुख लचीला था. वास्तव में इस बारे में कुछ राज्य के नेताओं की तुलना में मेरा रुख अधिक लचीला व नरम था. जब उन्होंने (बसपा) अपना रास्ता अलग तय करने का फैसला किया तो उस समय हमारे बीच वार्ता हो रही थी.”
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए अजीत जोगी की जनता कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बाद मायावती ने बुधवार को मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करने का फैसला कर कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया था. राहुल और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रशंसा करते हुए मायावती ने मध्य प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को बसपा-कांग्रेस गठबंधन को नहीं होने देने के लिए निशाना बनाया था.
सहयोगी दल चाहेंगे तो जरूर बनूंगा प्रधानमंत्री
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद अगर सहयोगी दल चाहेंगे तो वह जरूर प्रधानमंत्री बनेंगे. गांधी ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ‘बहुत अधिक’ सीटें मिलेंगी. गांधी ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘विपक्षी दलों के साथ बातचीत करने के बाद यह फैसला किया गया कि चुनाव में दो चरण की पक्रिया होगी. पहले चरण में हम मिलकर बीजेपी को हराएंगे. चुनाव के बाद दूसरे चरण में हम (प्रधानमंत्री के बारे में) फैसला करेंगे.”
यह पूछे जाने पर कि अगर विपक्षी दल ओर सहयोगी दल चाहेंगे तो उनका रुख क्या होगा, इस पर गांधी ने कहा, “अगर वे चाहेंगे तो मैं निश्चित तौर (पर बनूंगा).” दअरसल, उनसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय उनके उस बयान का हवाला देते हुए सवाल किया गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी हुई तो वह प्रधानमंत्री बनेंगे,
सरकार बनने की स्थिति में अपनी योजना का उल्लेख करते हुए गांधी ने कहा, “कांग्रेस सत्ता में आई तो मैं तीन काम करूंगा. पहला काम छोटे और लघु उद्यमियों को मजबूत करूंगा, दूसरा- किसानों को यह एहसास कराऊंगा कि वे महत्वपूर्ण हैं. मेडिकल और शैक्षणिक संस्था खड़ी करेंगे.”
मेरा मंदिर जाना ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ नहीं, इससे भाजपा परेशान है
राहुल गांधी ने कहा कि उनका मंदिर जाना ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ नहीं है, लेकिन इससे बीजेपी को परेशानी होती है क्योंकि वह हर चीज पर अपना एकाधिकार चाहती है. उन्होंने कहा कि देश में इस समय ‘वैचारिक युद्ध’ चल रहा है और आरएसएस के खिलाफ इस वैचारिक लड़ाई का केंद्र कांग्रेस है. गांधी ने मंदिर जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘यह दिलचस्प है. मैं मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद 16 वर्षों से जा रहा हूं लेकिन गुजरात चुनाव से इसका प्रचार होने लगा है. मुझे लगता है कि इस तरह की चीजों से भाजपा को परेशानी होती है। उन्हें लगता है कि सिर्फ वो ही मंदिर जा सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म और हिंदुत्व में अंतर है. हिंदू धर्म एक दर्शन है, लेकिन हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है. यह (मंदिर जाना) सॉफ्ट हिंदुत्व नहीं है. मुझे समझ नहीं आता कि मैं मंदिर क्यों नहीं जा सकता? मैं गुरुद्वारा, गिरजाघर और मस्जिद क्यों नहीं जा सकता? अगर मुझे कोई आमंत्रित करता है और मैं नहीं जाता हूं तो यह उनका अपमान होगा.”