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अफगानिस्‍तान में बिगड़े हालत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बुलाई आपात बैठक

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को अफगानिस्तान में तालिबान के कब्‍जे से पैदा हुए हालात पर एक आपात बैठक की। बीते एक हफ्ते में सुरक्षा परिषद की यह दूसरी बैठक थी।

बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मैं सभी पक्षों खासकर तालिबान से गुजारिश करता हूं कि वे लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए संयम बरतें और मानवीय जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करें।

अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने यह भी कहा कि अफगानिस्‍तान में जारी संघर्ष ने हजारों लोगों को घर छोड़ने को मजबूर कर दिया है।

काबुल ने देश भर के प्रांतों से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की भारी आमद देखी है। मैं सभी पक्षों को नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं। मैं सभी पक्षों का आह्वान करता हूं कि वे लोगों को जीवन रक्षक सेवाओं और सहायता के लिए निर्बाध पहुंच प्रदान करें।

एंटोनियो गुटेरस ने अचानक पैदा हुए इस मानवीय संकट पर कहा- मैं सभी देशों से शरणार्थियों को स्वीकार करने की अपील करता हूं। अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना होगा।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होना होगा कि अफगानिस्तान को दोबारा कभी आतंकवादी संगठनों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं बनने दिया जाएगा। मैं सभी पक्षों को अफगानिस्तान के नागरिकों की रक्षा के लिए उनके दायित्वों की याद दिलाता हूं।

बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक स्वर में बोलना चाहिए। मैं तालिबान और सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और सभी व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करने का आह्वान करता हूं।

उन्‍होंने यह भी कहा कि हमें पूरे अफगानिस्‍तान से मानवाधिकारों पर प्रतिबंधों की चौंकाने वाली रिपोर्टें मिल रही हैं। मैं विशेष रूप से अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के उल्लंघन से चिंतित हूं जो तालिबान राज के काले दिनों की वापसी से डरते हैं।

वहीं संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि गुलाम एम इसाकजई ने कहा कि आज मैं अफगानिस्तान के लाखों लोगों की ओर से बोल रहा हूं। मैं उन लाखों अफगान लड़कियों और महिलाओं की बात कर रहा हूं

जो स्कूल जाने और राजनीतिक-आर्थिक और सामाजिक जीवन में भाग लेने की स्वतंत्रता खोने वाली हैं। तालिबान दोहा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर किए गए अपने वादों और प्रतिबद्धताओं का सम्मान नहीं कर रहा है। आज अफगानिस्‍तान के लोग भय में जी रहे हैं।

वहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि हमें इस बात की गहरी चिंता है कि संकट में फंसे लोगों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल रही है।

विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत 500 टन से अधिक सहायता सीमा पर फंसी है। यह सहायता वितरण तुरंत फिर से शुरू होनी चाहिए। हम अफगानिस्तान के पड़ोसियों और अन्य देशों से अफगान लोगों को शरण देने की गुजारिश करते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने यह भी कहा कि मैं यूएनएससी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से एक साथ खड़े होने और एक साथ काम करने की गुजारिश करता हूं। सभी राष्‍ट्र अफगानिस्तान में वैश्विक आतंकी खतरे को दबाने के लिए उपायों का इस्‍तेमाल करें

और सुनिश्चित करें कि बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान किया जाएगा। अफगान लोग हमारे समर्थन के पात्र हैं। हम अफगानिस्तान के लोगों को इस तरह अकेला नहीं छोड़ सकते हैं।संरा महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने अफगान लोगों की जान बचाने और उन्‍हें मानवीय सहायता पहुंचाने को भी कहा है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूत्रि ने बैठक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सुरक्षा परिषद की यह खास जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान में हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए।

उन्‍होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति बेहद चिंताजनक है। हमें आतंकवाद को हर रूप में समाप्त करने के लिए कदम उठाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश या क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने के लिए ना हो।

बैठक में पाकिस्तान की तरफ से अपनी बात रखने का प्रस्ताव किया गया था जिसे स्वीकार नहीं किया गया। इसको लेकर पाकिस्तान ने भारत को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तालिबान प्रेम दुनिया के सामने जाहिर हो चुका था।

इमरान ने तालिबान के कब्जे पर कहा है कि अफगानिस्तान ने अपनी गुलामी की बेडि़यों को तोड़ दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह बयान सत्तारूढ़ तहरीक ए इंसाफ पार्टी के एक कार्यक्रम में दिया।

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