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महेंद्र दास को पटना महावीर मंदिर का बनाया महंत जाने पूरा मामला ?

रेलवे स्टेशन के सामने स्थित पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर मामले में नया मोड़ सामने आ गया है. हनुमानगढ़ी अयोध्या ने पटना के महावीर मंदिर पर स्वामित्व का दावा ठोक दिया है.

बुधवार को अयोध्या हनुमानगढ़ी के गद्दीनशीन प्रेमदास महाराज ने पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल पर मंदिर पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाते हुए पटना महावीर मंदिर के सर्वे सर्वा के रूप में हनुमानगढ़ी से जुड़े महेंद्र दास की नियुक्ति कर दी.

यही नहीं हनुमानगढ़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर महेंद्र दास को पारंपरिक विधि से पटना महावीर मंदिर का महंत भी नियुक्त कर दिया. साफ है कि हनुमानगढ़ी के इस कदम के बाद पटना महावीर मंदिर पर वर्चस्व की लड़ाई और तेज होगी.

प्रेस वार्ता में गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ने कहा कि महावीर मंदिर पटना हनुमानगढ़ी की संपत्ति है. सदियों से इस मंदिर पर उसका मालिकाना हक रहा है. महंत प्रेमदास का कहना है

कि पटना महावीर मंदिर 350 वर्ष पूर्व श्रीरामानंदीय वैरागी संप्रदाय के प्रसिद्ध स्वामी बालानंद जी द्वारा स्थापित की गई. सदियों से यहां हनुमानगढ़ी की परंपरा ही प्रवाहमान रही है.

इस मंदिर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने कब्जा करके रामानंदीय परंपरा को नष्ट करने का प्रयास किया है. महंत ने किशोर कुणाल पर मंदिर की सपंत्ति से निजी संपत्ति खड़ा करने का भी आरोप लगाया.

महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि महावीर मंदिर पर अपने स्वामित्व के लिए कोर्ट में वाद दायर किया जा चुका है. साथ ही बिहार के सीएम सहित देश के प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजकर अपना हक प्राप्त करने की गुहार लगाई गई है.

बता दें कि बुधवार को ही महंत प्रेमदास की मौजूदगी में हनुमानगढ़ी के पंचों की सहमति से महेंद्र दास चेला स्वर्गीय रामगोपाल दास को पटना महावीर मंदिर का सर्वराहकार

एवं फलाहारी सूर्यवंशी दास को पुजारी पद पर नियुक्ति किया गया. पंचों ने यह भी कहा कि यदि किशोर कुणाल पंचों की सहमति से मंदिर का संचालन करते हैं तो उन्हें माफ कर दिया जाएगा.

दूसरी ओर पटना महावीर मंदिर न्यास समिति के आचार्य किशोर कुणाल ने हनुमानगढ़ी के दावे को बेबुनियाद और निराधार बताया है. आचार्य ने इस मामले पर कहा कि महावीर मंदिर न्यास समिति की लोकप्रियता से चिढ़कर ही यह विवाद खड़ा करने की कोशिश हनुमानगढ़ी की ओर से की गई है.

उनके इस दावे में कोई दम नहीं हैं. महावीर मंदिर के स्वामित्व को लेकर पटना उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है. यह हनुमानगढ़ी से स्वतंत्र एक अलग धार्मिक संस्था है, जो बिहार हिन्दू धार्मिक न्यास अधिनियम के तहत बिहार धार्मिक न्यास पार्षद के अधीन कार्यरत है.

किशोर कुणाल ने कहा कि हनुमानगढ़ी में पटना महावीर मंदिर की महंती देना भी हास्यास्पद है. किसी भी दस्तावेज में हनुमानगढ़ी की परंपरा की चर्चा ही नहीं है. बता दें कि हनुमानगढ़ी पीठ की ओर से इस संबंध में अयोध्या सिविल कोर्ट में वाद दायर कर दिया गया है.

हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन प्रेमदास ने पटना के महावीर मंदिर को हनुमानगढ़ी की संपत्ति बताने के साथ ही अयोध्या सिविल कोर्ट में वाद दायर होने के बाद 300 वर्ष पुराने इस मंदिर को लेकर एक बार फिर से बड़े विवाद की आधारशिला तैयार हो गई है.

बता दें कि पटना के महावीर मंदिर की स्वामित्व को लेकर यह पहला विवाद नहीं है. वर्ष 1935 में रामानंदी एक परंपरा के संत साधु भगवान दास ने रामानंदी परंपरा इस मंदिर पर स्वामित्व का दावा जताया था.

13 साल चले मुकदमे में हाई कोर्ट ने वर्ष 1948 में मुकदमे की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाया था. जिसमें अदालत ने कहा कि कि यह मंदिर ईस्ट इंडिया कंपनी के सहयोग से स्थापित किया गया था. ऐसे में यह निजी संपत्ति नहीं हो सकती.

बताया जाता है कि इस प्राचीन मंदिर के आसपास अतिक्रमण कर लिया गया था. इसे हटाने के लिए तत्कालीन आईपीएस अधिकारी कुणाल किशोर ने कठोर निर्णय लेते हुए मंदिर की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया था.

जिसके बाद मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया था. वर्ष 1985 में मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हुआ. इसके बाद वर्ष 1987 में 300 वर्ष पुराने इस मंदिर कि महंती परंपरा को समाप्त कर दिया गया.

जानकारों की मानें तो वर्चस्व की लड़ाई के पीछे पटना महावीर मंदिर की बड़ी आमदनी भी है. महावीर मंदिर की आय लगभग 20 करोड़ वार्षिक बताई जाती है, जबकि पूरे मंदिर ट्रस्ट का बजट लगभग 100 करोड़ से अधिक है.

यही वह वजह है जिसके कारण महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग तेज होती जा रही है और आने वाले दिनों में इसको लेकर कई खबरें सामने आने वाली हैं. बहरहाल दोनों पक्षों के दावे की सच्चाई क्या है यह तो अब अदालत ही तय करेगा.

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